भारत-चीन तनाव पर कांग्रेसः 2015 से अबतक 2064 बार चीनी सेना ने की घुसपैठ, लेकिन BJP के पास जवाब नहीं काउंसिल द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक ये तमाम विज्ञापन विभिन्न मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद थे। सभी आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी (आयुष) मंत्रालय ( Aayush Ministry ) के 1 अप्रैल 2020 के आदेश का उल्लंघन करते हुए पाए गए थे, जिसमें आयुष-संबंधी दावों के विज्ञापन और प्रचार पर रोक लगाई गई थी।
ASCI ने बताया कि आयुष मंत्रालय ने उन्हें ऐसे विज्ञापनों के बारे में सचेत करने के लिए मदद मांगी थी। इसके बाद काउंसिल ने COVID-19 के रोकथाम या इलाज का दावा करने वाले ऐसे भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने का अभियान चलाया। इतना ही नहीं काउंसिल ने अप्रैल में COVID-19 इलाज या रोकथाम के विज्ञापन वाली 50 कंपनियों की सूची भी सार्वजनिक की है।
दरअसल, बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोरोनिल नामक दवा की लॉन्चिंग ( coronil patanjali tablet launch ) के बाद से सरकार ने इसके विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। सरकार ने कंपनी को कोरोना वायरस की दवा का दावा करने वाली इस टैबलेट ( Coronil Tablet Patanjali ) को लेकर किए गए शोध आदि पेश करने के लिए कहा गया है।
‘कोरोना वायरस महामारी रोकने के लिए राजधानी में 20 दिन का लॉकडाउन जरूरी’ सूची में होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एल्बम 30 का विज्ञापन करने वाली संस्थाओं का एक समूह भी शामिल है, जिसका व्यापक रूप से COVID-19 रोकथाम की दवा के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
किसी मशहूर कंपनी का नाम नहीं ASCI के मुताबिक इसने ड्रग्स और मैजिक रेमेडीज़ नियमों के संभावित उल्लंघन के 91 मामलों को चिह्नित करते हुए आयुष मंत्रालय को जानकारी दी है। इस सूची में मधुमेह, कैंसर, यौन समस्याओं, जीवन शैली की बीमारियों जैसे रक्तचाप और उच्च तनाव के इलाज का दावा करने वाली कई कंपनियां थीं।
गुमराह करते हैं विज्ञापन हालांकि इन सबके बीचे अपने ब्रांड ‘फेयर एंड लवली’ एडवांस्ड मल्टी विटामिन के लिए हिंदुस्तान यूनिलीवर के विज्ञापन को भी गुमराह करने के लिए ASCI की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
Coronavirus ने भारत के सामने खड़ा किया एक और गंभीर संकट, रोजाना हर जगह बढ़ रही परेशानी ASCI को इस ब्रांड के खिलाफ एक शिकायत मिली थी। जांच में काउंसिल ने पाया कि अखबार में छपे विज्ञापन में तस्वीर को एडिटिंग के जरिये बेहतर कर ( गोरा दिखाने के लिए ब्राइटनेस बढ़ाना ) भ्रामक रूप से दिखाया गया था। विज्ञापनदाता ने हालांकि इस बात को स्वीकार तो किया कि तस्वीर में थोड़ी एडिटिंग कर इसे बेहतर बनाया ( गोरा बनाने के लिए ब्राइटनेस बढ़ाना ) गया है, लेकिन यह नहीं सुनिश्चित किया कि यह उन्होंने किया है।
इसके अलावा अन्य प्रमुख ब्रांड जिन्होंने अप्रैल के दौरान काउंसिल की कार्रवाई का सामना किया, उनमें विभिन्न मामलों के लिए एशियन पेंट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, एफसीए इंडिया ऑटोमोबाइल्स, ग्रोफर्स, मेकमाईट्रिप और इंडिगो एयरलाइंस शामिल हैं।
जिन हस्तियों को भ्रामक दावे करने वाले विज्ञापनों में उचित ध्यान नहीं दिए जाने के लिए पहचाना गया, उनमें अभिनेता सचिन और सुप्रिया पिलगांवकर भी शामिल हैं। इन्होंने तिरुमला ऑयल के लिए विज्ञापन किया था। जबकि बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल को रसना के विज्ञापन के लिए और बजाज कंज्यूमर केयर के विज्ञापन के लिए अभिनेता परिणीति चोपड़ा का नाम सामने आया।
काउंसिल ने 533 विज्ञापनों के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच की। इनमें से 115 विज्ञापनों को तुरंत वापस ले लिया गया था। जबकि शेष 418 विज्ञापनों के मूल्यांकन में 377 के खिलाफ शिकायतें बरकरार रखी गईं।