दरअसल, देश के नीति नियंता ( Policy maker ) अब सक्रिय रूप से उन लोगों के समूहों की पहचान करने के लिए विचार-विमर्श कर रहे हैं जिन्हें कोरोना वैक्सीन ( Corona Vaccine ) विकसित होने पर टीके सबसे पहले लगाए जाएंगे।
Gautam Gambhir’s big initiative : 25 कॉल गर्ल की बेटियों की उठाएंगे पूरी जिम्मेदारी, पहचान रखी गई है गुप्त भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ( ICMR ) की ओर से आयोजित कोविड-19 ( Covid-19 ) महामारी के खिलाफ टीकों के विज्ञान और नैतिकता में नव विचार’ विषय पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिस्सा लेते हुए विशेषज्ञों ने इस बात पर चर्चा की।
इस बारे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ( Ministry of Health and Family Welfare ) में नियुक्त विशेष कार्य अधिकारी ( OSD ) राजेश भूषण ने कहा कि टीका प्राथमिकता के आधार पर पहले किन्हें मिलना चाहिए, इस विषय पर सरकार के भीतर और बाहर दोनों जगह चर्चा की जा रही है।
Priyanka Gandhi ने खाली किया सरकारी बंगला, अधिकारियों से कहा – देख लो, बाद में कोई गड़बड न हो भूषण ने कहा कि एक उभरती हुई आम सहमति है कि सबसे पहले टीका पाने वालों में अग्रिम मोर्च पर काम करने वाले कर्मचारियों, बुजुर्गों, पहले से बीमारियों से ग्रस्त लोगों, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में से को दिया जाए। लेकिन इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
हम अभी इस प्रश्न पर मंथन ( Brainstorm ) कर रहे हैं और अभी हम इस मुद्दे पर कोई अंतिम स्थिति में नहीं पहुंचे हैं कि प्राथमिकता सूची में कौन-कौन होंगे। स्वास्थ्य कर्मियों के बाद कौन आएगा और फिर उनके बाद कौन आएगा।
अगर कोरोना योद्धाओं ( Corona warriors ) को सबसे पहले टीका देने की बात मान भी लिया जाए तो सवाल यह उठेगा कि उसके बाद सबसे पहले किसे मिले। उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श इस बात पर है कि क्या यह समूह बुजुर्ग लोगों का होगा या यह वे लोग होंगे, जिन्हें पहले से ही कई बीमारियां हैं या क्या वे कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले लोग होंगे जिनकी लंबे समय तक रही गरीबी और कुपोषण के कारण प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर हो गई है।
वहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ( Oxford university ) के टीके का बंदरों पर परीक्षण बेहद सफल रहा है। टीका लगने के बाद बंदरों में प्रतिरोधी क्षमता पैदा हुई और उनमें वायरस का प्रभाव भी कम हुआ। इसे एक शुभ संकेत माना जा रहा है। मेडिकल जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
अमरीका के राष्ट्रीय एलर्जी एवं संक्रामक रोग संस्थान ( United States National Institute of Allergy and Infectious Diseases ) के शोधकर्ताओं और ऑक्सफोर्ड ने पाया कि वैक्सीन यानी कि टीका बंदरों को कोविद-19 से होने वाले घातक निमोनिया से बचाने में सफल रहा।