हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की ओर से दिए गए एक बयान ने सबको चिंता में डाल दिया है। डब्ल्यूएचओ ने अपने इस बयान में कहा कि दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण की तीसरी लहर तेजी से बढ़ रही है। इस लहर की प्रमुख वजह कोरोना का डेल्टा वेरिएंट हैं। यह वेरिएंट सबसे पहले भारत में मिला था।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बीता हफ्ता ऐसा चौथा हफ्ता था, जब दुनियाभर में कोरोना के नए मामले बढऩे का सिलसिला जारी रहा। इससे पहले, बीते दस हफ्ते तक संक्रमण के मामलों में कमी आई थी, मगर एक बार फिर से नए केस बढ़ रहे हैं, जिससे चिंता बढ़ रही है। कोरोना का नया वेरिएंट डेल्टा दुनियाभर में फैल रहा है। इससे संक्रमण के मामले और मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।
डेल्टा वेरिएंट ज्यादा संक्रामक डब्ल्यूएचओ का दावा है कि डेल्टा वेरिएंट उन लोगों को संक्रमित कर रहा है, जिन्होंने टीका नहीं लिया है। जहां टीकाकरण की दर कम है, वहां के हालात और भी खराब हैं। उन्होंने इस बात की भी चेतावनी दी कि डेल्टा वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है और इससे बचना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, डेल्टा वेरिएंट की चपेट में आने से बचने के लिए टीका लगवाना जरूरी है। हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि टीका लगवाने के बाद भी अगर कोई चपेट में आता है, तो ज्यादा खतरे की बात नहीं, क्योंकि उसकी सेहत को नुकसान होने की संभावना उन लोगों से कम है, जो बिना टीका लगवाए संक्रमित हो रहे हैं। अमरीका में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने वालों की दर 70 से 80 प्रतिशत के करीब है।
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भारत के लिए भी खतरे का संकेत विशेषज्ञों के अनुसार, डब्ल्यूएचओ के इस बयान को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए और यह भारत के लिए भी खतरे का संकेत है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि भारत में कोरोना के नए मामलों में गिरावट की गति धीमी होती जा रही है। यही नहीं, महाराष्ट्र, केरल समेत पूर्वोत्तर क्षेत्र में कोरोना की स्थिति अब भी चिंताजनक है। क्या देश में तीसरी लहर शुरू हो गई है? हालांकि, सरकार ने भी अपनी रिपोर्ट में अब इसे गंभीरता से लेने को कहा है और अगले दो-महीनों को काफी अहम बताया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या देश में तीसरी लहर शुरू हो गई है। नीति आयोग के एक सदस्य वीके पॉल ने पिछले दिनों कहा था कि भारत में कोरोना की मौजूदा स्थिति नियंंत्रण में है। मगर भारत वैक्सीनेशन या नेचुरल इन्फेक्शन के जरिए हर्ड इम्युनिटी हासिल करने से अभी काफी दूर है, इसलिए संकट टला नहीं है। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह भी कहा कि अगले कुछ महीने भारत के लिए काफी अहम साबित होंगे।
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तीसरी लहर अगस्त के अंत तक देश में दस्तक दे सकती है वहीं, हैदराबाद यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर और भौतिक विज्ञानी डाक्टर विपिन श्रीवास्तव के एक बयान पर गौर करें तो भारत में कोरोना की तीसरी लहर 4 जुलाई को ही आ चुकी है। उन्होंने कहा कि 4 जुलाई को ठीक वैसी स्थिति दर्ज की गई, जैसा कि दूसरी लहर की शुरुआत के दौरान फरवरी के पहले हफ्ते में देखी गई थी। कुछ और विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर अगस्त के अंत तक देश में दस्तक दे सकती है। हालांकि, यह दूसरी लहर से कम घातक होगी। आईसीएमआर में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा की मानें तो जरूरी नहीं कि तीसरी लहर आए ही। मरीजों में कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा की मानें तो एक राष्ट्रव्यापी तीसरी लहर आएगी। हालांकि, इसका यह जरूरी नहीं कि तीसरी लहर भी दूसरी की तरह खतरनाक या उतनी ही तीव्र होगी। कोरोना की तीसरी लहर आने की वजहों को बताते हुए उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी से ठीक हुए मरीज इसका बड़ा कारण हैं। यानी कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के दौरान कोरोना से ठीक हुए मरीजों में कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट शामिल है और यही तीसरी लहर की वजह बन सकता है।
इस महीने की शुरुआत में आईआईटी के वैज्ञानिकों के एक समूह ने तीन परिदृश्य सामने रखे थे, जिसके मुताबिक अगस्त तक स्थिति सामान्य हो सकती है, जारी रह सकती है या और खराब हो सकती है। इसी तरह से पिछले महीने, रॉयटर्स ने एक सर्वेक्षण किया था और भविष्यवाणी की थी कि भारत में तीसरी लहर अक्टूबर तक आएगी। विशेषज्ञों ने यह दावा भी किया है कि यदि समय रहते कोरोना महामारी से जुड़े नियमों का पालन नहीं किया गया तो तीसरी लहर आगामी अक्टूबर-नवंबर में बेहद घातक साबित होगी। हालांकि, विशेषज्ञ यह भी दावा कर रहे हैं कि जैसे-जैसे टीकाकरण अभियान आगे बढ़ता जाएगा, कोरोना संक्रमण की तीसरी या फिर चौथी लहर की आशंका भी कम होती जाएगी।