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Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान मामले में सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा को बनाया एमिकस क्यूरी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा को कोविड-19 संबंधित मुद्दों से निपटने केे लिए एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त की है।

Apr 27, 2021 / 05:46 pm

Mohit sharma

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस ( Coronavirus in india ) की दूसरी लहर के बीच सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा को कोविड-19 संबंधित मुद्दों से निपटने केे लिए एमिकस क्यूरी ( amicus curiae ) के रूप में नियुक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला स्वत: संज्ञान मामले में लिया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड् की पीठ ने इस आदेश को इन रि: महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के वितरण केस की सुनवाई के दौरान पारित किया।

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वहीं, 23 अप्रैल को इस मामले में हुुई सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने खुद को इस केस से अलग कर लिया। दरअसल, हरीश साल्वे ने कोर्टसे खुद को इस मामले से मुक्त करने का आग्रह किया था। साल्वे ने इसके पीछे वजह बताते हुए कहा कि वह नहीं चाहते कि इस केस का इस संदेह के तहत सुना जाए कि उनको तत्कालीन मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे के साथ बचपन की दोस्ती के बेसिस पर एमिकस बनाया गया था। साल्वे के तर्क को सुनने के बाद सीजेआई बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनको इस केस से अलग कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया क? कोरोना वायरस ? मैनेजमेंट के लिए नेशनल पॉलिसी तैयार करने पर उसके स्वत: संज्ञान लेने का मतलब उच्च न्यायालय के मुकदमों को दबाना नहीं है।

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वहीं, प्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकारों से कहा कि वे अपने स्वास्थ्य ढांचे पर एक रिपोर्ट दाखिल करें। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कोविड-19 के मुद्दे पर हाईकोर्ट की ओर से पारित किसी भी आदेश को नहीं रोका गया है। सुप्रीम कोर्ट देश में कोविड प्रबंधन पर स्वत: सज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा था। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों से उनके स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के संबंध में गुरुवार तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट को किसी भी दिशा-निर्देश को पारित करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है, क्योंकि वे अपने राज्यों में मामलों की सुनवाई कर रहे हैं और वे जमीनी स्थिति को बेहतर जानते हैं।

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