Coronavirus ने भारत के सामने खड़ा किया एक और संकट, बायोमेडिकल कचरा बना बड़ी चुनौती
कोरोना काल ( Coronavirus Pandemic ) में कूड़े के ढेर ( landfill sites ) पर बढ़ती जा रही है इस्तेमाल किए गए मास्क, पीपीई किट्स, ग्लव्स की संख्या।
कूड़ा बीनने वालों और सफाई कर्मचारियों में बढ़ रहा है संक्रमण ( Coronavirus Pandemic Awareness ) का गंभीर ( biomedical waste management ) खतरा।
दिल्ली ही नहीं देश भर में बढ़ रहा यह बायोमेडिकल वेस्ट ( biomedical waste disposal ) बन गया है बड़ी चुनौती, कई की मौत ( Coronavirus Deaths )।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic ) से पहले ही जूझ रहे भारत में अब इसने एक नया संकट खड़ा कर दिया है। यह संकट है बायोमेडिकल कचरे ( biomedical waste disposal ) का। इसमें कचरे के ढेर में मिलने वाली व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण (PPE Kits ), मास्क, दस्ताने, फेस शील्ड, जूता कवर और सैनेटाइजर की बोतलें शामिल हैं।
राजधानी दिल्ली की जहरीली हवा को लेकर बड़ा खुलासा, पीछे की वजह हैं पाकिस्तान-नेपाल जैसे पड़ोसी देश हालांकि इस प्लास्टिक कचरे में दो चीजें कॉमन हैं। पहला कि ये लोगों की रक्षा करते हैं और उन्हें कोरोना वायरस ( Coronavirus Pandemic Awareness ) से संक्रमित होने से बचाते हैं। दूसरा इनमें से ज्यादातर प्लास्टिक से बने होते हैं। पिछले तीन महीनों में बायोमेडिकल वेस्ट रूपी यह प्लास्टिक कचरा ( biomedical waste management ) पहले से ही भर चुके कूड़े के ढेर ( landfill sites ) में पहुंच रहा है। इससे कूड़े के निपटान में लगे सफाई कर्मचारियों, कूड़ा इकट्ठा करने वालों और कचरा बीनने वालों को स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले तीन महीनों में कचरा बीनने वालों का काम बढ़ा है और यह ज्यादा खतरनाक भी हो गया है। ये लोग अब रिसाइकिल करने योग्य प्लास्टिक की चीजें को खोजने के लिए अपने हाथों से कचरे में पड़े ढेरों मास्क और प्लास्टिक दस्तानों को इधर-उधर करते हैं। इन लोगों के पास अपनी सुरक्षा के लिए बहुत ज्यादा हुआ तो इकलौता मास्क ही होता है, जो इन्हें किसी ने दिया होता है और यह कई बार पहना जा चुका होता है।
दिल्ली में कूड़ा बीनने वालों के मुताबिक अप्रैल के बाद से यहां पर फेंके गए मास्क और दस्तानों का एक टीला बन चुका है। उन्हें पता है कि यह एक जोखिम भरा काम है और वे सभी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने की कोशिश करते हैं। सरकार की प्राथमिकता सूची से बाहर के ये लोग कहते हैं इन्हें खुद ही सबकुछ करना पड़ता है। हालांकि महामारी के दौरान कचरे के ढेर में फेंकी गई प्लास्टिक की मात्रा का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
दिल्ली में 40 से अधिक स्वच्छताकर्मियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है और इनमें 15 की मौत ( Coronavirus Deaths ) हो चुकी है। मुंबई में शहर की दो लैंडफिल साइटों देवनार और कांजुरमार्ग में 10 कर्मचारी और दो सुरक्षा गार्ड कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए थे।
कोरोना वायरस विस्फोट रोकने के लिए एक साथ 11,000 जानवरों को मारने की तैयारी जबकि बीते 18 अप्रैल को देश के शीर्ष निकाय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कचरे के निपटान के नियमन पर, अस्पतालों, प्रयोगशालाओं, क्वारंटीन केंद्रों जैसे निर्दिष्ट साइटों द्वारा उत्पन्न कोरोना से संबंधित कचरे के साथ क्या करना है, इस पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे।
इसके मुताबिक उपयोग किए जाने वाले मास्क, ग्लव्स, हेड कवर, जूता कवर, डिस्पोजेबल लिनन गाउन, गैर-प्लास्टिक और अर्ध प्लास्टिक कवर को एक सामान्य जैव चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा (सीबीडब्ल्यूटीएफ) में भस्म के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पीले बैग में निपटाया जाना था।