हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ( Ministry of Health ) ने कोरोना वायरस के 11 लक्षण जारी किए। इनमें कुछ नए लक्षण भी शामिल हुए हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस ( Coronavirus Outbreak ) शरीर पर छह तरह से हमला करता है। मरीजों की तादाद बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है कि संक्रमित मरीजों में अलग-अलग तरह के लक्षण सामने आते हैं।
अलग-अलग होते हैं लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना वायरस के अलग-अलग होते हैं। कोई मरीज सर्दी-जुकाम, खांसी और सामान्य बुखार के बाद ही ठीक हो जाता है। वहीं, किसी मरीज को सांस की गंभीर समस्या के बाद वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है। किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस पर रिसर्च में बताया कि वायरस छह तरह से इंसानों पर अटैक करना है, जिस कारण उनमें कई तरह लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
कैसे अटैक करता है कोरोना वायरस
बिना बुखार के फ्लू
ऐसी स्थिति में संक्रमित मरीजों को सिरदर्द, सीने में दर्द, खांसी, गले में खराश, मांसपेशियों में तनाव हो सकता है। लेकिन, मरीज को बुखार नहीं होता।
N-95 Mask को लेकर केंद्र सरकार का अलर्ट, इससे नहीं रुकता Coronavirus
फ्लू के साथ बुखार भी
जब संक्रमित मरीजों को सिरदर्द, गले में खराश, गला बैठने, सूंघने की शक्ति कमजोर पड़ने, खांसी, भूख कम लगने के साथ बुखार भी हो तो कोरोना वायरस हो सकता है।
बिना खांसी के बुखार
कोरोना संक्रमण के इस तरीके में मरीज को सिरदर्द, सूंघने की शक्ति कमजोर पड़ने, सीने में दर्द, भूख घटने या खत्म होने, गले में खराश की समस्या के साथ डायरिया की शिकायत होती है, लेकिन उन्हें खांसी नहीं रहती।
ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमितों को बुखार, खांसी, सिरदर्द, संघूने की शक्ति कमजोर पड़ने, गला बैठने और सीने में दर्द के साथ आलस्य और सुस्ती की समस्या रहती है। बरसात में चरम पर होग? coronavirus us, सर्दी-जुकाम से संक्रमण का ज्यादा खतरा
भ्रम की स्थिति
मरीज को सिरदर्द, सूंघने की शक्ति कमजोर पड़ने, भूख कम होने, खांसी, बुखार, गला बैठने, गले में खराश, सीने में दर्द की शिकायत के साथ उसमें भ्रम की स्थिति जैसे मानसिक लक्षण भी दिखते हैं।
पेटदर्द की शिकायत
सिरदर्द, सूंघने की क्षमता कमजोर पड़ने, भूख मिटने, खांसी, बुखार, गला बैठने, गले में खराश, सीने में दर्द, सुस्ती, भ्रम होना, सांस लेने में तकलीफ के साथ दस्त और पेटदर्द की भी शिकायत होती है।
शोध में खुलासा
ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं ने बताया कि चौथे, पांचवें और छठे तरह के लक्षण वाले मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर ज्यादा है। ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट या वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ती है। संक्रमण के पांचवे दिन से ही लक्षणों की गंभीरता समझ में आने लगती है।