इससे पहले मौलाना साद पर आईपीसी की उन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था जो जमानती थीं। अब धारा 304 शामिल होने के बाद साद के लिए जमानत पाना कठिन होगा।
राहुल गांधी : मध्य-पूर्व में फंसे भारतीय कामगारों को वापस लाने की व्यवस्था करे सरकार इस मामले में कानून के जानकारों का कहना है कि जांच के दौरान अगर और अधिक गंभीर अपराध पाए गए तो दिल्ली पुलिस आगे भी कई धाराएं जोड़ने के लिए स्वतंत्र है। जानकारी के मुताबिक साद और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता ( IPC ) की धारा 304 जोड़ी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी का कहना है कि यह 304 के बजाय धारा 302 का मामला ज्यादा है। उन्होंने कहा कि तबलीगी जमात के लोगों ने मार्च में हुए कार्यक्रम में घोर आपराधिक लापरवाही की। जमात के लोग देशभर में कोरोना फैलने के जिम्मेदार हैं। वे जानते थे कि उनके इस कार्यक्रम से संक्रमण फैलेगा और इससे मौतें भी हो सकती हैं। मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी का कहना है कि यह धारा हत्या के किसी मामले में दूसरी डिग्री के रूप में समझा जा सकता है। इसमें किसी की मौत का इरादा तो नहीं है, लेकिन उन्होंने एक ऐसा काम किया है जो खतरनाक है और इससे मौत होने की संभावना है। भाटी ने कहा कि जांच के किसी भी चरण में अगर यह पाया जाता है कि साजिश में उनकी भूमिका हैं तो चार्जशीट दाखिल होने से पहले और भी कड़ी धाराएं जोड़ी जा सकती हैं। अगर आरोपी जांच में शामिल नहीं होते हैं तो यह अपराध को और भी बड़ा करने वाली बात होगी।
बता दें कि तबलीगी जमात के मौलाना साद को आखिरी बार 28 मार्च को देखा गया था। बाद में एक ऑडियो संदेश के माध्यम से उन्होंने खुद से क्वारानटाइन में होने का दावा किया था। इसके अलावा तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के दो रिश्तेदार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। मामला सामने आने के बाद यूपी पुलिस ने थाना मंडी क्षेत्र के मोहल्ला मुफ्ती इलाके को सील कर दिया है। इस इलाके के 8 अन्य लोगों को भी क्वारनटाइन किया गया है।