इस वजह से लगाई गई रोक
बता दें कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय, आयुर्वेंद से जुड़े प्रोडक्ट पर रिसर्च करने के बाद उसे अनुमति देता है। कोरोना वायरस एक नई और जानलेवा बीमारी है। दुनिया के तमाम वैज्ञानिक और डॉक्टर्स महामारी की वैक्सीन खोजने में जुटे हुए हैं। इसलिए कोरोना वायरस से जुड़ी किसी भी दवा को लॉन्च करने से पहले मंत्रालय की अनुमति जरूरी है। कंपनी सीधे बाजार में ये दावा नहीं कर सकती कि यह कोरोना की दवा है। इससे पहले दवा के सभी तथ्य, रिसर्च, ट्रायल आदि की जानकारी मंत्रालय को देनी होती है। मंत्रालय के अनुमति के बाद ही इसे मार्केट में उतारा जा सकता है।
साइंटिफिक स्टडी की कोई जानकारी नहीं
आयुष मंत्रालय ने कहा है कि पंतजलि की कोविड-19 दवा से जुड़ी साइंटिफिक स्टडी की कोई जानकारी नहीं है। मंत्रालय ने कहा है कि पहले कम्पोजिशन, रिसर्च स्टडी और सैम्पल साइज समेत तमाम जानकारी साझा करनी होगी, तब तक दवा के विज्ञापन और प्रचार बंद करने होंगे।
राज्य सरकार से भी मांगा जवाब
आयुष मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के सम्बंधित लाइसेंसिंग अथॉरिटी से भी इस प्रोडक्ट की अप्रूवल की कॉपी भी मांगी है। मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद से दवा के नाम और लैब और अस्पताल के बारे में भी जानकारी देने को कहा है।
100 फीसदी मरीज हुए ठीक
इधर, योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा है कि इस दवा का 100 लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया है। जिनमें 95 लोगों ने हिस्सा लिया। 3 दिन में 69 फीसदी मरीज ठीक हुए है। वहीं 7 दिनों में 100 फीसदी मरीज कोरोना नेगेटिव हो गए। उन्होंने कहा कि पतंजलि रिसर्च सेंटर और NIMS के संयुक्त प्रयास से कोरोना की क्लीनिकली कंट्रोलड पहली आयुर्वेदिक तैयार की गई है।