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ब्लैक फंगस को कई राज्यों द्वारा महामारी घोषित
जबकि कोरोना की दूसरी लहर ( Second wave of corona ) के चलते डायबिटीज से पीड़ित लोग और कोविड के दौरान अधिक स्टेरॉयड लेने वाले लोगों पर पहले से ही ब्लैक फंगस का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि ब्लैक फंगस को लेकर लोगों में कुछ भ्रांतियां भी घर कर गई हैं। इसलिए ब्लैक फंगस को लेकर फलों के सेवन के बारे में आइए जानते हैं क्या है एक्सपर्ट की राय- हाल ही में एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने क हा कि इस तरह का डाटा कम ही, जिसमें कहा गया हो कि कच्चे व सड़े हुए फल खाने से ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि ब्लैक फंगस को कई राज्यों द्वारा महामारी घोषित करते हुए ब्लैक फंगस को लेकर लोग न केवल ज्यादा सावधानी बरने लगे हैं, बल्कि उनमें इस घातक बीमारी को लेकर कई सारी अफवाहें और भ्रांतियां भी फैली हुई हैं।
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ताजा और साफ फलों को ही सेवन किया जाना चाहिए
इस दौरान डॉ. गुलेरिया ने बताया कि कैसे ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षणों को पहचान कर इसका इलाज कराया जा सक ता है। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि कोरोना रोगियों में सुगर लेवल को लगातार मॉनीटिरिंग करना ब्लैक फ फंगस को शुरुआती दौर में ही पहचानने में काफी मददगार साबित हो सकता है। डॉ. रणदीप गुलेरिया ने आगे कहा कि इसको लेकर बहुत सारी अफवाहें उड़ रही हैं कि कच्चे या सड़े हुए फल खाने से ब्लैक फंगस हो जाता है, लेकिन इस तरह का कोई डाटा अभी तब उलब्ध नहीं है। इसका मरीजों के लिए इस्तेमाल की जा रही ऑक्सीजन से भी कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि इसके केस होम आइसोलेशन में रहे मरीजों में भी देखने को मिल रहे हैं हालांकि उन्होंने कहा कि ताजा और साफ फलों को ही सेवन किया जाना चाहिए।
खाने से पहले फलों को धोना जरूरी
उन्होंने कहा कि फलों को खाने से पहले न केवल उनको अच्छी तरह से चेक कर लेना चाहिए, बल्कि उसको गरम पानी से धोना भी जरूरी है। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि अनियंत्रित डायबिटीज और बहुत अधिक मात्रा में स्टेरॉयड का इस्तेमाल कोराना के बाद लोगों में ब्लैक फंगस के संक्रमण की संभावनाओं को अधिक बढ़ा देता है।