विविध भारत

Coronavirus से मौत के बाद दुनिया के 110 करोड़ से ज्यादा लोगों पर मंडरा रहा गंभीर खतरा

दुनिया ( worldwide ) को लेकर यूनाइटेड नेशंस ( United Nations ) कॉलेज द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में अत्यधिक गरीबों ( poor people ) जताई गई आशंका।
विशेष रूप से भारत को मिलाकर दक्षिण एशिया ( South Asia ) में दिखेगा व्यापक ( Coronavirus impact ) प्रभाव।
1.9 डॉलर प्रतिदिन ( per capita income ) में जीवन यापन करने वालों की तादाद ( Extreme Poverty ) बेतहाशा बढ़ने की आशंका।

Coronavirus impact: People below Extreme Poverty could reach by 110 Crore worldwide

नई दिल्ली। एक ओर कोरोना वायरस महामारी लोगों को बीमार बनाते हुए उनकी मौत का कारण बन रही है, लेकिन दूसरी तरफ इस वायरस ने वैश्विक स्तर पर एक बड़ा खतरा ( Coronavirus Impact ) पैदा कर दिया है। यह खतरा जिंदगी से भी ज्यादा बुरा होता है, जिसे आम लोग गरीबी कहते हैं। शोधकर्ताओं ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से आई आर्थिक गिरावट 39.50 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी ( poor people ) में डुबो सकती है। इसकी वजह से दुनिया भर ( worldwide ) में प्रतिदिन 1.90 डॉलर से कम में जीवनयापन करने वालों की कुल संख्या 100 करोड़ से ज्यादा पहुंच सकती है।
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यह रिपोर्ट यूनाइटेड नेशंस ( United Nations ) कॉलेज के एक UNU-WIDER द्वारा प्रकाशित की गई है। इसमें कई परिदृश्यों के माध्यम से विश्व के वित्तीय संस्थानों की विभिन्न गरीबी रेखाओं को ध्यान में रखा गया है। इसमें प्रतिदिन 1.90 डॉलर या उससे कम पर अत्यधिक गरीबी से प्रतिदिन 5.50 डॉलर से कम यानी उच्चतर गरीबी के रूप में परिभाषित व्यक्तियों पर विचार किया गया है।
इसमें सबसे खराब परिदृश्य के अंतर्गत प्रतिव्यक्ति आय या खपत में 20 फीसदी कमी के चलते अत्यधिक गरीबी में रहने वालों की संख्या 112 करोड़ हो सकती है। आय या खपत में इतनी ही कमी ऊपरी-मध्यम आय वाले देशों में 5.50 डॉलर की सीमा तक रहने वाले लोगों में भी देखने को मिल सकती है। यानी 370 करोड़ से अधिक लोग या दुनिया की आधी से अधिक आबादी इस गरीबी रेखा से नीचे रहते दिख सकती है।
रिपोर्ट के लेखकों में से एक एंडी समनर ने कहा, “जब तक सरकारें जल्द से जल्द खुद से ज्यादा प्रयास नहीं करती हैं और दैनिक आय में होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं करती, दुनिया के सबसे गरीब लोगों के लिए हालात गंभीर है। नतीजा यह है कि गरीबी में लाई गई वैश्विक कमी 20-30 वर्ष पीछे जा सकती है और गरीबी को समाप्त करने का संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य एक सपने की तरह देखा जा सकता है।”
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किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि गरीबी भौगोलिक वितरण में बदल जाएगी। क्षेत्र के हिसाब से अत्यधिक गरीबी की आशंका वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या दक्षिण एशिया ( South Asia ) में देखने की उम्मीद की जा रही थी। इसमें मुख्य रूप से बड़ी आबादी वाला भारत प्रमुख था। इसके बाद उप-सहारा अफ्रीका था जहां से लगभग एक तिहाई बढ़ोतरी होगी।
सोमवार को विश्व बैंक ने कहा था कि आशंका है कि यह महामारी 7 करोड़ से 10 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल देगी। गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिए दुनिया के तमाम देशों में अभूतपूर्व लॉकडाउन देखा गया। इसके चलते उद्योग-धंधों के बंद होने के साथ ही देशों की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इससे रातोंरात लोग बेरोजगार हो गए।

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