इंस्टीट्यूट की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक, भारत में सार्स-कोव-2 की प्रजनन दर यानी आर वैल्यू बीते 7 मई के बाद पहली बार एक को पार कर गई है। इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंस में कम्प्यूटेशनल जूलॉजी एंड थियोरेटिकल फिजिक्स के प्रोफेसर सीताभ्र सिन्हा के अनुसार, कोरोना वायरस की आर वैल्यू गत 27 जुलाई को 1 पार कर गई। यह 7 मई के बाद पहली बार हुआ है, जब आर वैल्यू 1 को पार कर गई।
-
रिसर्च टीम के अनुसार, 27 जुलाई से 31 जुलाई के बीच वायरस की आर वैल्यू 1.03 रही। वहीं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि वायरस का आर वैल्यू 1 पर पहुंच रहा है। इससे कुछ दिन पहले यह 0.96 था। यानी वायरस के फैलने की रफ्तार कम थी।
साधारण भाषा में वायरस की प्रजनन दर को आर वैल्यू कहते हैं। जिसका मतलब है कि कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति जितने लोगों को संक्रमित करता है उसे ही आर वैल्यू कहते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति एक और व्यक्ति को संक्रमित करता है तो यहां पर आर वैल्यू 1 होगी। अगर वह दो लोगों को संक्रमित करता है तो यहां पर आर वैल्यू दो होगी। जुलाई में आर वैल्यू एक को पार कर जाने का मतलब है कि एक संक्रमित व्यक्ति अपने साथ-साथ एक और व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है।
-
इस रिसर्च टीम का नेतृत्व कर रहे सीताभ्र सिन्हा ने बताया कि एक विश्वसनीय अनुमान पाने के लिए भारत में इलाज करा रहे मरीजों की संपूर्ण संख्या में काफी उतार-चढ़ाव हो रहा है। हालांकि, आंकड़े एक वैल्यू रहने का संकेत दे रहे हैं। आने वाले दिनों में यह घट या बढ़ सकता है। आर-वैल्यू जितनी कम होगी, उतनी तेजी से रोग घटेगा। इसके उलट, यदि ‘आर’ एक से अधिक होगा तो हर चरण में संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी–तकनीकी रूप से, इसे महामारी का चरण कहा जाता है।
आर-वैल्यू 0.95 होने का यह मतलब है कि प्रत्येक 100 संक्रमित व्यक्ति औसतन 95 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे। यदि आर-वैल्यू एक से कम है तो, इसका मतलब यह होगा कि नये संक्रमित लोगों की संख्या इससे पूर्व की अवधि में संक्रमित हुए लोगों की संख्या से कम होगी, जिसका मतलब है कि रोग के मामले घट रहे हैं।