लिवर सिरोसिस के मरीजों पर शुरू किया अध्ययन हाल में कोरोना वायरस से लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis) के मरीजों को बचाने के लिए जहां वैक्सीन पर जोर दिया जा रहा है। वहीं इन मरीजों पर वैक्सीन से पड़ने वाले वास्तविक असर को जानने के लिए डॉक्टरों ने देश में पहला अध्ययन शुरू करने का निर्णय लिया है।
कोविशील्ड की डोज दी जा रही इसके तहत लिवर सिरोसिस के मरीजों को पुणे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में कोविशील्ड वैक्सीन की डोज दी जा रही है। इन मरीजों पर कोविशील्ड के असर का पता लगाने के लिए दो अलग-अलग समूह अध्ययन करेंगे। इसमें कुछ मरीज सामान्य तो कुछ सिरोसिस के होंगे।
कोरोना वायरस से आठ गुना अधिक खतरा कोरोना वायरस और लिवर सिरोसिस के मरीजों को लेकर अब तक दुनिया भर में कई अध्ययन सामने आए हैं, जिनके अनुसार अन्य मरीजों की तुलना में लिवर सिरोसिस के रोगी को कोरोना वायरस से सात से आठ गुना अधिक खतरा होता है। इन मरीजों में कोरोना वायरस सबसे ज्यादा जानलेवा भी है। ऐसे में जरूरी है कि मरीजों को लिवर सिरोसिस के साथ संक्रमण से ही बचाया जा सके।
एंटीबॉडी के बनने पर असर अध्ययन के दौरान यह देखा जाएगा कि 28 दिन के अंतराल में दो खुराक देने के बाद लिवर सिरोसिस और सामान्य व्यक्तियों में किस स्तर तक एंटीबॉडी का विकास हुआ है। गौरतलब है कि भारत हर साल दस लाख लिवर सिरोसिस के मामले दर्ज किए जाते हैं। ऐसी अवस्था में विभिन्न कारणों से लिवर को नुकसान होता और वह काम करना बंद कर देता है।
2200 लोगों को दो समूह को किया पंजीकृत क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया के अनुसार अध्ययन को पूरा होने में कम से कम छह माह का समय लगेगा। इसके साथ ही 2200 लोगों को दो समूह के लिए पंजीकृत करा गया है। नई दिल्ली स्थित आईएलबीएस अस्पताल के डॉक्टरों ने अध्ययन शुरू करा है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण हेपेटाइटिस और लंबे समय से शराब पीने की लत वालों काफी नुकसान होता है।
इसलिए सरकार ने दी है अनुमति नीति आयोग के सदस्य डॉ.वीके पॉल के अनुसार लीवर सिरोसिस के रोगियों में कोरोना संक्रमण की गंभीरता को समझने के लिए इस अध्ययन को मंजूरी दी गई है। इसमें 45 से 59 वर्ष की आयु के रोगियों को वैक्सीन लगवाने की अनुमति दी है। उनका कहना है कि लीवर सिरोसिस के साथ दूसरे मरीजों को भी अपनी सुरक्षा के लिए जल्द वैक्सीन लगवा लेना चाहिए।