म्यूकर माइकोसिस एक तरह का फंगस यानी फफूंद का संक्रमण है। हालांकि, नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि कोरोना की वजह से म्यूकर माइकोसिस ज्यादा हो रहा है।
यह फंगस इंफेक्शन बहुत हद तक डायबीटीज के मरीजों में होता है। डॉक्टर पॉल के मुताबिक जब डायबिटीज नियंत्रित नहीं होती है और शुगर का स्तर नॉर्मल नहीं होता तब म्यूकर अटैक करता है।
अगर डायबीटीज के मरीज को कोई और बीमारी हो गई है और वह स्टेरॉयड जैसी लाइव सेविंग दवाई ले रहा जो इम्यून सिस्टम को दबाती है, तो म्यूकर का असर डायबीटीज मरीजों में बढ़ जाता है।
डॉ. पॉल के मुताबिक शुगर के उन पीड़ितों गीली सतह पर संपर्क के दौरान ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादा समय गीले के संपर्क में रहने पर ही म्यूकर के अटैक के चांस बढ़ जाते हैं।
वीके पॉल ने कहा कि इम्यून पर दबाव बढ़ने वाली दवाओं के इस्तेमाल की बजाए डायबिटीज मरीज शुगर लेवल को कंट्रोल रखने का प्रयास करें। कोरोना के मरीजों में ब्लड शुगर का कंट्रोल में रहना बहुत जरूरी है, ऐसा करने से हमारे किडनी और हृदय पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। स्टेरॉयड के अलावा टोसिलजुमैब या इस कंपाउंड की दवाई भी जो जान बचाने के लिए दी जाती हैं, वह इम्यून सिस्टम को दबाती हैं।
कोरोना मरीज हैं तो स्टेरॉयड 6 दिन के बाद ही देनी चाहिए वह भी सिर्फ 5 से 10 दिनों के लिए। इन बातों का भी रखें ध्यान
– मरीज को जब ऑक्सिजन देते वक्त ह्यूमिडिफायर का पानी साफ हो और बदलता रहे, टपकना नहीं चाहिए
– मरीज के हाइजीन का ख्याल रखें
– कोविड के पेशंट को बाद में नाक में रुकावट दिखती है, सूजन महसूस हो रही है या मुंह में अलसर दिख रहा है तो उसका तुरंत इलाज शुरू करना चाहिए
अगर कोरोना मरीज हैं और डायबीटीज है तो कई बार लाइव सेविंग ड्रग्स देनी पड़ती है। ऐसे में ये ड्रग्स इम्यून सिस्टम को दबाती हैं। इसके साथ ही जब ऑक्सिजन सपोर्ट मरीज को दिया जाता है तो उसमें पानी की वजह से कई बार फंगस आने की संभावना बढ़ जाती है।