भारत में पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना संक्रमण के नए केस कम आ रहे थे, मगर फरवरी का पिछला हफ्ता यानी 15 से 21 फरवरी तक देश में नए केस ज्यादा आए। इन सात दिनों में एक लाख 990 केस सामने आए। वहीं, इससे पहले वाले हफ्ते में 77 हजार 284 नए केस मिले थे। खतरनाक यह है कि यह आंकड़ा हर रोज बढ़ता ही जा रहा है। सिर्फ 21 फरवरी को 14 हजार से अधिक केस सामने आए। जो आंकड़े दस हजार के करीब चल रहे थे, वह एक दिन में बढक़र 14 हजार पार कर गए।
सबसे ज्यादा खराब स्थिति इस बार भी महाराष्ट्र की है। यहां हर हफ्ते नए केस में 81 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई। सवाल यह है कि ऐसे वक्त में जब देश में कोरोना वैक्सीन अभियान चल रहा है, तब क्या यह कोविड की नई लहर है?
वहीं, स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों पर बात करें तो स्पष्ट है कि नए संक्रमण में 86 प्रतिशत केस केवल पांच राज्य से हैं। इनमें महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और पंजाब शामिल हैं। केंद्र सरकार की ओर से निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ सतर्कता बढ़ाने के लिए इन पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है। महाराष्ट्र में हालात ज्यादा गंभीर दिख रहे हैं।
वैसे भी पहले की अपेक्षा इस बार आंकड़े बढऩे का दौर लंबे समय बाद दिखा है। पांच महीने तक आंकड़े घटने के बाद अचानक बढऩे शुरू हो गए। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि किसी और देश में लगातार पांच महीने तक आंकड़ों में गिरावट दर्ज नहीं हुई। कई देशों में संक्रमण दो से तीन महीने ही बढ़ जाता है। हालांकि, विशेषज्ञ इससे हैरान नहीं हैं। उनके मुताबिक, महामारी का दौर एक साल बाद भी वापस उसी रूप में या उससे भी खराब स्वरूप में लौट सकता है।
बहरहाल, बात महाराष्ट्र की करें तो देशभर में कुल आंकड़ों का करीब 20 प्रतिशत इसी राज्य से आता है। यहां करीब 21 लाख केस सामने आ चुके हैं। यहां उतार-चढ़ाव देश के तहत चल रहा है, जबकि दिल्ली और अन्य राज्यों के मामले में ऐसा नहीं है।
विशेषज्ञ की इस बात की जांच में जुटे हैं कि इस नई लहर में कोरोना के नए स्ट्रेन हैं या फिर वही पुराना वायरस। बता दें कि यूके और साऊथ अफ्रीका का स्टे्रन भारत आ चुका है। डॉक्टर जीनोम का विश्लेषण कर रहे हैं।