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5 सालों में रेलवे में 7.5 अरब डॉलर का निवेश
यही वजह है कि आने वाले दिनों प्राइवेट ट्रेनों के संबंध में सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का विरोध हो सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि देश का गरीब तबका आवागमन के लिए ट्रेनों पर भी आश्रित है। ऐसे प्राइवेट ट्रेनों का किराया तय करने का अधिकार कंपनियों को देना एक बड़े तबके का जीवन प्रभावित कर सकता है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने प्राइवेट ट्रेनों के संचालन के लिए आवेदन मांगे हैं। प्राइवेट ट्रेनों को चलाने के लिए जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर, अडानी इंटरप्राइजेज, बॉम्बार्डियर, एल्सटम समेत कई दिग्गज कंपनियों ने इच्छा जताई है। रेल मंत्रालय के एक अनुमान के मुताबिक अगले 5 सालों में रेलवे में 7.5 अरब डॉलर का निवेश हो सकता है।
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वेबसाइट के माध्यम से ट्रेनों के टिकट बेच सकेंगे
सूत्रों के अनुसार प्राइवेट ऑपरेटर्स अपनी वेबसाइट के माध्यम से ट्रेनों के टिकट बेच सकेंगे। हालांकि इसके लिए उनकी वेबसाइटों का पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम से जुड़ा होना अनिवार्य होगा।