मानसून को लेकर आई खुशखबरी, देेशभर में बारिश सामान्य से 31 फीसदी ज्यादा “भारतीय क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का आकलन” ( National Climate Change Assessment Report ) नामक यह रिपोर्ट वर्ष 1986 से लेकर 2015 तक 30 वर्षों में सबसे गर्म दिन और वर्ष की सबसे ठंडी रात के तापमान में 0.63 डिग्री और 0.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्शाती है। रिपोर्ट ( latest climate change update ) के मुताबिक सदी के अंत तक इस तरह की ही ‘स्थिति’ रहने पर यह तापमान सामान्य रूप से क्रमशः 4.7 डिग्री और 5.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है।
यह ‘स्थिति’ एक ऐसे परिदृश्य का उल्लेख करती है, जहां या तो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जाती है या बहुत कम काम किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन होता है।
हालांकि पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ( Dr. Harsh Vardhan ) द्वारा शुक्रवार 19 जून को जारी की जाने वाली यह रिपोर्ट राज्यों या शहरों को लेकर विशिष्ट अनुमान ( indian weather ) नहीं दिखाती है। रिपोर्ट का विश्लेषण विभिन्न अध्ययनों को सामने लाता है, जिनमें हाल के दिनों में मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में बाढ़, जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, समुद्र-स्तर में वृद्धि समेत अन्य क्षेत्रीय कारक शामिल हैं।
वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी, इस बार कोरोना वायरस महामारी के बीच मानसून लाने वाला है बड़ी परेशानी रिपोर्ट में लगाए गए अनुमान क्षेत्रीय अधिक हैं। जैसे गंगा के मैदानी भाग, पश्चिमी घाट, उत्तर हिंद महासागर के तटीय क्षेत्र और पूर्व एवं पश्चिम हिमालय। इनमें पिछली मौसम की चरम घटनाओं और इनके लिए जिम्मेदार कारकों का विश्लेषण है।
पिछले कुछ दशकों के दौरान सूखे और बाढ़ के मामलों में बढ़ोतरी देखने के बावजूद रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य भारत के आर्द्र क्षेत्र, विशेष रूप से सूखाग्रस्त क्षेत्र बन गए हैं। पिछले आकलन का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि पूर्वी तट, पश्चिम बंगाल, पूर्वी यूपी, गुजरात और कोंकण क्षेत्र के साथ ही साथ मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे अधिकांश शहरी क्षेत्रों में बाढ़ का जोखिम बढ़ गया है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वैज्ञानिक रिपोर्ट को भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे के वैज्ञानिकों ने संपादित किया है। मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन द्वारा इस रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा गया कि जलवायु परिवर्तन पर एक व्यापक मूल्यांकन रिपोर्ट की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। यह भारत के लिए पहली जलवायु परिवर्तन आकलन रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, सामाजिक वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों और छात्रों के लिए बहुत उपयोगी होगी।
क्या दिल्ली में इतने ज्यादा बिगड़ने वाले हैं हालात कि अस्पतालों में मुर्दाघर बढ़ाने के देने पड़े आदेश उन्होंने लिखा, “नीति निर्माताओं के लिए भविष्य के संभावित जलवायु परिवर्तन अनुमानों पर एक स्पष्ट व्यापक दृष्टिकोण होना महत्वपूर्ण है।” 20वीं सदी के मध्य के बाद से भारत में विभिन्न जलवायु परिवर्तनों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, “इस बात के लिए वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि मानव गतिविधियों ने क्षेत्रीय जलवायु में इन परिवर्तनों को प्रभावित किया है। मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन 21वीं शताब्दी के दौरान तेजी से जारी रखने की उम्मीद है।”