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सीजेआई गोगोई ने जजों की छुट्टी पर लगाया बैन, देश की अदालतों में 3 करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित

देश की अदालतों में लंबित मामलों को निपटाने के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जजोें की छुट्टी पर लगाया बैन लगा दिया है।

Oct 12, 2018 / 07:53 am

Mohit sharma

सीजेआई गोगोई ने जजों की छुट्टी पर लगाया बैन, देश की अदालतों में 3 करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित

नई दिल्ली। देश की अदालतों में लंबित मामलों को निपटाने के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जजोें की छुट्टी पर लगाया बैन लगा दिया है। गोगोई ने इसके लिए कार्यदिवस के दौरान ‘नो लीव’ (कोई छुट्टी नहीं) का फॉर्म्युला निकाला है। आपको बता दें कि देश की विभिन्न अदालतों में करोड़ों मामले लंबित पड़े हैं। इसकी वजह से लोगों को न्याय हासिल करने के लिए न्यायपालिका का मुंह ताकना पड़ रहा है। आपको बता दें कि जस्टिस रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर को देश के चीफ जस्टिस पद की शपथ ली थी। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट में लंबित करोड़ों मामलों का बोझ कम करने की बात कही थी।

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‘अनियमित जज हटें’

यही नहीं सीजेआई गोगोई ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी कड़ी चेतावनी दी है, जो न्याय प्रक्रिया में नियमित नहीं हो पाते। उन्होंने कहा कि ऐसे मुख्य न्यायधीश हट जाएं जो अदालती कार्यवाही के दौरान नियमित नहीं रह पाते। इसके साथ ही गोगोई ने हाई कोर्ट के ऐसे मुख्य न्यायाधीशों का भी पता लगाने को कह है कि जो काम के दौरान अनुशासित नहीं रहते। लंबित काम को बोझ को कम करने के लिए जजों को छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सीजेआई के आदेश के अनुसार अब हाईकोर्ट का कोई जज या निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी को इमरजेंसी के अलावा कार्य दिवस (वर्किंग डे) में छुट्टी नहीं जा सकेंगे। इसके अलावा छुट्टी मंजूर न करने पर जोर देने के अलावा जस्टिस गोगोई ने वर्किंग डे पर सेमिनार या आधिकारिक कार्यक्रम से दूर रहने की भी न्यायिक अधिकारियों को सलाह दी है। इसके पीछे उन्होंने इस वजह से अगले दिन की सुनवाई में आने वाली बाधा को कारण बताया है।

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सीजेआई गोगोई ने अदालतों को लिखे अपने अधिकारिक पत्र में में कार्यदिवस के दौरान जजों के एलटीसी लेने पर भी रोक लगाने की बात कही है। इस व्यवस्था के चलते जजों को अपनी फैमिली हॉलीडे को भी काफी पहले से प्लान करना होगा। इसके साथ ही छुट्टी पर जाने वाले जज को दूसरे जजों और चीफ जस्टिस के साथ सामंजस्य बनाना होगा।

न्यायपालिका में लंबित मुकदमे—

— सुप्रीम कोर्ट में करीब 55,000 मुकदमे
— 24 हाई कोर्ट में 32.4 लाख मुकदमे
— निचली अदालतों में 2.77 करोड़ मुकदमे

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