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प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा कल हो जाएंगे सेवानिवृत्त, ऐतिहासिक फैसलों के लिए किए जाएंगे याद

सीजेआई दीपक मिश्रा न्‍यायिक मामलों में साहसिक कदम उठाने के लिए जाने जाते हैं। उनके दूरगामी फैसलों को देश कभी नहीं भुला पाएगा।

Oct 01, 2018 / 11:10 am

Dhirendra

प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा कल हो जाएंगे सेवानिवृत, ऐतिहासिक फैसलों के लिए किए जाएंगे याद

नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा कल यानी दो अक्‍टूबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। वह अपने दूरगामी फैसलों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। बात सिनेमाघर की स्क्रीन पर लहराते तिरंगे के साथ होने वाला राष्ट्रगान, महिलाओं से भेदभाव वाले नियम कानूनों को रद करना और मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी का मामला पूरी रात सुनना ऐसे ऐतिहासिक फैसले हैं जो हमेशा उनकी याद दिलाएंगे।
सात साल तक रहे सुप्रीम कोर्ट में न्‍यायाधीश
प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा कुल सात साल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे जिसमें 13 महीने मुख्य न्यायाधीश रहे। इस बीच उन्होंने बहुत से फैसले दिए, लेकिन कुछ ऐसे रहे जो ऐतिहासिक हैं। साहित्य व धर्मग्रन्थों का अच्छा ज्ञान रखने वाले जस्टिस मिश्रा के फैसलों में इस ज्ञान को परिलक्षित करने वाले कोट दिखते हैं।
सीजेआई के लिए रंजन गोगोई का सुझाव
अपने सेवानिवृत्त से एक महीने पहले सरकार को अगले चीफ जस्टिस के लिए नाम का सुझाव देना था। नियमों के मुताबिक सरकार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से उनके उत्तराधिकारी का नाम पूछती है और सीजेआई के सुझाए नाम पर ही सरकार अपनी मुहर लगाती है। आपको बता दें कि उन्‍होंने खुद के खिलाफ आवाज उठाने वाले न्‍यायाधीश रंजन गोगोई का नाम अगले प्रधान न्‍यायाधीश के रूप में केंद्र सरकार के पास भेजा था।
सीजेआई दीपक मिश्रा के कुछ अहम फैसले
1. जाटों को केंद्रीय सेवाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दायरे से बाहर करने का निर्णय।

2. असम में घुसपैठियों की पहचान के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) बनाने का दिया निर्णय।
3. सौम्या मर्डर मामले में ब्लॉग लिखने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को अदालत में किया था तलब।

4. जेएनयू छात्रनेता कन्हैया कुमार के मामले में एसआईटी गठन से किया था इनकार।
5. कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस कर्णन को छह महीने की कैद की सजा देने वाली पीठ में थे शामिल।

6. निर्भया गैंग रेप में सभी दोषियों को सजा।

7. लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा व विधान परिषद चुनावों के उम्मीदवारों को संपत्ति, शिक्षा व चल रहे मुकदमों का ब्योरा देने का आदेश देने वाली पीठ में शामिल।
8. अनुसूचित जाति के एक आदमी को दूसरे राज्य में आरक्षण कोटे का लाभ नहीं दिए जाने का निर्णय सुनाया।

9. बाबरी मस्जिद विवाद केस में उन्‍होंने मस्जिद में नजाम पढ़ने को अभिन्‍न हिस्‍सा नहीं माना।
10. आधार की अनिवार्यता मामले में उन्‍होंने कहा कि सरकारी कामकाज आधार की अनिवार्यता को निजता के अधिकारों को उल्‍लंघन नहीं माना। जबकि निजी संस्‍थानों के लिए आधार की मांग को खारिज कर दिया।
11. समलैंगिकता की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को उन्‍होंने खारिज कर दिया। साथ ही आईपीसी 377 की वैधता को भी समाप्‍त कर दिया। समलैंगिक वयस्कों द्वारा सहमति से बनाए गए यौन संबंध को गैर कानूनी नहीं माना।
12. भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के तहत व्‍याभिचार को उन्‍होंने अपराध नहीं माना। साथ ही आईपीसी 497 को समाप्‍त कर दिया। लेकिन तलाक के लिए व्‍याभिचार को आधार माना।

13. सबरीमाला मंदिर मामले में समानता के अधिकारों को तवज्‍जो देते हुए सभी उम्र की महिलाओं के मंदिर का द्वार खोला। अभी तक 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर में प्रवेश वर्जित था।
14. दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका को खारिज करते हुए उन्‍होंने साफ कर दिया कि केवल शिकायत या चार्जशीट होने मात्र से राजनेताओं को चुनाव लड़ने से रोकना संभव नहीं है। संसद को इस पर कानून बनाने का दिया सुझाव।
15. प्रमोशन में आरक्षण के मामले में जस्टिस नागराज के निर्णय के प्रभाव को कम करते हुए एससी-एसटी के लिए आरक्षण को बरकरार रखा।

16. राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी और कहा कि इससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
17. जज लोया मामले की जांच को लेकर दायर याचिका को खारिज करना।

18. बीसीसीआई में सुधार पर जोर और नई बॉडी गठन करने के निर्देश।

19. खाप पंचायत को शादी में हस्‍तक्षेप न करने के निर्देश।
20. मॉब लिंचिंग पर सरकार को सख्‍त कदम उठाने के निर्देश के साथ कानून बनाने का सुझाव।

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