ये सही है कि दो महीने से भी अधिक समय से तनाव के बाद अब वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) पर जारी टकराव कम हो रहा है। अगले कुछ दिनों में इसके खत्म होने की उम्मीद भी है, लेकिन इतिहास से बक लेते हुए भारतीय सेना एलएसी पर अपनी युद्ध रणनीति ( War Strategy ) में अहम बदलाव की तैयारियों में जुट गई है।
Political crisis : पायलट और गहलोत की तकरार कांग्रेस का पुराना इतिहास, पार्टी में हमेशा भारी पड़ते हैं बुजुर्ग नेता जानकारी के मुताबिाक भविष्य में वहां पहले की अपेक्षा ज्यादा सैनिक तैनात किए जाएंगे। नई सैन्य रणनीति के तहत गलवान घाटी ( Galwan Valley ) से लेकर पेंगोंग लेक ( Pangong Lake ) इलाके तक के करीब सवा दो किलोमीटर क्षेत्र में सेना एवं आईटीबीपी ( ITBP ) की तैनाती में इजाफा किया जाएगा। यह इजाफा मई से पहले की तुलना में ज्यादा होगा।
वर्तमान में लद्दाख में सेना के 4 डिवीजन तैनात हैं। चीनी सेना के पीछे हटने के बाद इनकी मौजूदगी को कम किया जाएगा। लेकिन हालात सामान्य होने के बावजूद इस बार एलएसी ( LAC ) के इस हिस्से को संवेदनशील मानकर अतिरिक्त तैनाती की जाएगी।
बीजेपी नेता Ram Madhav का बड़ा बयान – परिसीमन के बाद कश्मीर में जल्द होगा विधानसभा का चुनाव एलएसी के पीछे लेकिन फारवर्ड फ्रंट ( Forward front ) पर कम से कम 6 से 8 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जा सकती है। इसमें सेना एवं आईटीबीपी दोनों के जवान शामिल होंगे। सेना की तैनाती का मकसद यह है कि भविष्य में चीन की किसी भी धोखेबाजी से निपटने के लिए सेना हमेशा तत्पर रहे। ताकि भारतीय हितों को नुकसान न पहुंचे।
सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मौजूदा टकराव वाले क्षेत्रों के निकट तैनाती को नई रणनीति के तहत व्यवस्थित किया जाएगा। निगरानी की प्रक्रिया को भी व्यापक बनाया जा सकता है। इसमें पेट्रोलिंग के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस ( Electronic surveillance ) भी आरंभ किए जाने की संभावना है।
इस बार उपग्रह के जरिए भी चीनी गतिविधियों पर विशेष फोकस रखा जाएगा। इंडियन सैटेलाइट ( Indian Satellite ) के जरिए बॉर्डर इलाके में निरंतर चीन की गतिविधियों पर नजर रखने का काम किया जाएगा।