चीन का ये गांव अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में बनाया गया है। इस गांव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। आपको बता दें कि हाल में इस गांव की सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आईं थीं।
कोरोना से जंग के बीच भारत बायोटेक का बड़ा अलर्ट,…तो ना लगाएं कोवैक्सीन का टीका पूर्वी लद्दाख में करीब एक वर्ष से चल रहे विवाद के बीच चीन ने एक बार फिर अपनी नापाक हरकत को अंजाम दिया है। भारतीय सीमा में घुसकर ड्रैगन ने एक आधुनिक गांव बसा डाला है।
बनाए गए 101 घर
इस गांव में करीब 101 घर बनाए गए हैं। इन घरों में चीनी लोगों को बसाया गया है। खास बात यह है कि इन घरों के ऊपर चीनी झंडा भी लगाया गया है।
इस गांव में करीब 101 घर बनाए गए हैं। इन घरों में चीनी लोगों को बसाया गया है। खास बात यह है कि इन घरों के ऊपर चीनी झंडा भी लगाया गया है।
सैटलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने अपना यह गांव भारत के त्सारी चू नदी के किनारे बसाया है। इन तस्वीरों में नजर आ रहा है कि चीनी गांव में चौड़ी सड़कें और बहुमंजिला इमारतें बनाई गई हैं।
भारत के रक्षा सूत्रों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के इस इलाके पर चीन का 61 वर्षों से कब्जा है। चीन ने इन इलाकों पर वर्ष 1959 से अवैध कब्जा किया हुआ है। ड्रैगन की इस नई चाल के पीछे चीनी राष्ट्रपति की एक कुटिल योजना भी सामने आई है। जिसके तहत 600 गांव बसाए जा रहे हैं।
डोकलाम के बाद तेज हुआ निर्माण
दरअसल डोकलाम में भारत के साथ चल रहे विवाद और अंतराराष्ट्रीय दबाव के बीच ही चीन ने अपने अवैध कब्जे वाले इस इलाके में निर्माण काम तेज कर दिया। आपको बता दें कि कुछ वर्षों पहले ही चीनी सेना ने यहां अपनी एक चौकी भी बनाई है।
दरअसल डोकलाम में भारत के साथ चल रहे विवाद और अंतराराष्ट्रीय दबाव के बीच ही चीन ने अपने अवैध कब्जे वाले इस इलाके में निर्माण काम तेज कर दिया। आपको बता दें कि कुछ वर्षों पहले ही चीनी सेना ने यहां अपनी एक चौकी भी बनाई है।
ऐसे किया था कब्जा
चीन ने वर्ष 1959 में असम राइफल्स को हटाकर इस इलाके पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से यह इलाका चीनी सेना के नियंत्रण में है। 90 के दशक में बिछाया सड़कों का जाल
1962 की जंग के बाद चीनी सेना पीछे जरूर गईं, लेकिन अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों अब भी बनी हुई हैं। 90 के दशक के अंतिम वर्षों में चीन ने इस इलाके में सड़कों का जाल बिछाया।
चीन ने वर्ष 1959 में असम राइफल्स को हटाकर इस इलाके पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से यह इलाका चीनी सेना के नियंत्रण में है। 90 के दशक में बिछाया सड़कों का जाल
1962 की जंग के बाद चीनी सेना पीछे जरूर गईं, लेकिन अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों अब भी बनी हुई हैं। 90 के दशक के अंतिम वर्षों में चीन ने इस इलाके में सड़कों का जाल बिछाया।
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डोकलाम की घटना में भारतीय सेना ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। इससे बौखलाए चीनी राष्ट्रपति ने तिब्बत डिफेंस विलेज बनाना शुरू कर दिया।
डोकलाम की घटना में भारतीय सेना ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। इससे बौखलाए चीनी राष्ट्रपति ने तिब्बत डिफेंस विलेज बनाना शुरू कर दिया।
तिब्बती संगठनों की मानें तो चीनी राष्ट्रपति का गांव बसाने का मकसद तिब्बत और बाकी दुनिया के बीच एक ऐसा ‘सुरक्षा बैरियर’ बनाना था जो अभेद्य हो। अरुणाचल प्रदेश में बसाया गांव भी इसी योजना का हिस्सा है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा और भारतीय खतरे को ध्यान में रखकर कुछ समय पहले कहा था, ‘एक देश को अच्छे से संचालित करने के लिए सबसे पहले उसकी सीमाओं को ठीक ढंग से काबू में करना होगा।
सीमाओं को काबू में करने के लिए हमें तिब्बत में स्थिरता लाना होगा।