नासा के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ एडवर्ड पेट्रो का कहना है कि लैंडर का अब तक कोई सबूत नहीं मिला। उन्होंने कहा कि नासा की टीम ने चेंज डिटेक्शन तकनीक के द्वारा एलआरओ के तस्वीरों की सावधानीपूर्वक जांच की और विक्रम लैंडर का पता लगाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इस तकनीकी का इस्तेमाल चंद्रमा पर नए उल्कापिंड के प्रभाव को खोजने के लिए किया जाता है। इसके बावजूद नासा को कोई सफलता नहीं मिली।
वहीं, एलआरओ मिशन के उप परियोजना वैज्ञानिक जॉन केलर ने आशंका जताई कि यह संभव है कि विक्रम किसी गढ्ढे की छाया में या खोज क्षेत्र के बाहर स्थित हो। कम अक्षांश के कारण लगभग 70 डिग्री दक्षिण में स्थित इस क्षेत्र के कई हिस्से गहरे अंधकार में भी हैं। जिस वजह से लैंडर विक्रम को खोज पाना आसान नहीं है। वहीं, इसरो का कहना है कि विक्रम लैंडर की जहां हार्ड लैंडिंग हुई थी उसकी जानकारी मिल गई है, लेकिन विक्रम की वास्तविक स्थिति की अभी जानकारी नहीं मिल पाई है। इतना ही नहीं इसरो के ही एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि मिशन चंद्रयान 2 फेल हो चुका है और दोबारा विक्रम से संपर्क स्थापित होना मुश्किल है।