विविध भारत

चंद्रयान-2: तीन दिन बाद चांद पर आएगी सुबह, भूकंप और ठंडी हवाएं बढ़ा रही चिंता

Chandrayaan2 ISRO ने खोई नहीं उम्मीद
भूकंप और बर्फीली हवाएं बढ़ा रही हैं चिंता
5 अक्टूबर से चांद पर आने लगेगी रोशनी

Oct 02, 2019 / 12:15 pm

धीरज शर्मा

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान ( ISRO ) के मिशन चंद्रयान-2 की सफलता भले ही दे कदम दूर रह गई, लेकिन संस्थान ने अभी उम्मीदों का दामन नहीं छोड़ा है। दरअसल टीम इसरो के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती जो बनी हुई है वो है चांद पर आ रहे भूकंप और बर्फीली हवाएं। ऐसे में घनी काली रात के साथ इन दो बड़ी मुसीबतों के कारण टीम को सबसे बड़ी चिंता इसी बात की है कि 14 दिन का रात खत्म होते ही लैंडर विक्रम किस स्थिति में होगा।
दरअसल लैंडर विक्रम से संपर्क करने लिए इसरो अब भी तैयार है। इस संपर्क के लिए इसरो ने अपनी तरफ से पिछले दिनों में कुछ और योजनाएं तैयार की हैं। इन योजनाओं के तहत लैंडर विक्रम से संपर्क करने की दोबारा कोशिश भी की जाएगी, लेकिन इन सबके बीच जो सबसे बड़ी चुनौती है वो है भूकंप और बर्फीली हवाएं।
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चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से पहले इसरो ने जानकारी दी थी कि लैंडर और रोवर की मिशन लाइफ एक चंद्र दिवस के बराबर है, जो धरती के 14 दिनों के बराबर है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इतने दिनों बाद लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित करना काफी मुश्किल होगा।
इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक इतने दिनों के बाद संपर्क करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होगा, लेकिन कोशिश करने में कोई दिक्कत नहीं है।

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लैंडर विक्रम के अंदर हुआ नुकसान
इसरो अधिकारी की मानें तो चांद पर हार्ड लैंडिंग के दौरान लैंडर विक्रम को काफी नुकसान हुआ है। बाहरी सतह के साथ लैंडर विक्रम के अंदर भी नुकसान हुआ है। लेकिन जब तक लैंडर विक्रम की स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आती तब तक कुछ भी दावे से कहना मुश्किल है।
इसरो अधिकारी के मुताबिक चांद पर रात के समय लैंडर को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना होगा। इस समय वहां काफी ज्यादा सर्दी होगी। इसके अलावा वहां आने वाले भूकंप के झटके भी चिंता बढ़ाए हुए हैं।
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5 अक्टूबर से ही निकलेगा दिन
आपको बता दें कि चांद पर पांच अक्टूबर से दिन निकलना शुरू होगा। ऐसे में ISRO समेत दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियां जिनमें नासा भी शामिल है।

एक बार फिर इस मिशन में जुट जाएंगी कि जल्द से जल्द उस जगह की तस्वीरें ली जाएं जहां लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी।
17 अक्टूबर को मिल सकती है अच्छी खबर
यही नहीं नासा पहले भी कह चुका है कि वो 17 अक्टूबर को भी लैंडर विक्रम से जुड़ी तस्वीरों को लेकर कुछ नए तथ्य सामने ला सकता है।
दरअसल इससे पहले जब नासा ने उस जगह की तस्वीरें साझा की थी जहां लैंडर विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की थी, तो ये कहा था कि उसे लैंडर विक्रम नहीं मिला।

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लैंडर विक्रम के मिलने का दावा
हालांकि इन तस्वीरों के आधार पर ही कुछ लोगों ने लैंडर विक्रम को खोज निकाला और तस्वीरों की फिर से जांच करने की बात कही थी। इसरो की एक टीम भी इन तस्वीरों का विश्लेषण कर रही है।
ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि 17 अक्टूबर को अच्छी खबर मिल सकती है।

बीते सात सितंबर को चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम अंतिम क्षणों में लैंडिंग के वक्त लड़खड़ा गया था।
इसके बाद से उससे संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है। रोवर प्रज्ञान अभी भी लैंडर के भीतर ही है।

चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनट पहले ही विक्रम से संपर्क टूट गया था।
इसके बाद से ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन विक्रम से संपर्क करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही थी, लेकिन 10 दिन पहले उन्होंने सभी प्रयासों को रोक दिया था।

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