बल्कि ये बयान तो राष्ट्रीय स्तर की उस कमेटी का था जो पूरे मिशन को रिव्यू कर रही थी। डॉ. के सिवन ने कहा कि इस कमेटी के मुताबिक इसरो के इस मिशन में केवल 2 फीसदी की कमी थी। ये फीसदी 98 फीसदी सफल रहा।
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डॉ. के सिवन के कहा कि काफी हद तक ये बात सही है क्योंकि ये पहली बार था जब 4 टन से ज्यादा वजन के किसी सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी सैटेलाइट ऑर्बिट में डाला। हमने पहली बार लैंडर और ऑर्बिटर को एक साथ चांद की कक्षा में पहुंचाया। इसके अलावा पहली बार ऑर्बिटर में ऐसे पेलोड्स लगाए गए थे, जो दुनिया में पहली बार इस्तेमाल हुए।
डॉ. के सिवन के कहा कि काफी हद तक ये बात सही है क्योंकि ये पहली बार था जब 4 टन से ज्यादा वजन के किसी सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी सैटेलाइट ऑर्बिट में डाला। हमने पहली बार लैंडर और ऑर्बिटर को एक साथ चांद की कक्षा में पहुंचाया। इसके अलावा पहली बार ऑर्बिटर में ऐसे पेलोड्स लगाए गए थे, जो दुनिया में पहली बार इस्तेमाल हुए।
आपको बता दें कि लैंडर विक्रम के संपर्क टूटन के बाद से लगातार इसरो और दुनिया की अन्य एजेंसिया इस कोशिश में जुटी रहीं कि इससे संपर्क कर लिया जाए। यही नहीं कुछ हद तक इसमें कामयाबी भी मिली, लेकिन तय समय में संपर्क नहीं हो पाया।
पीएम मोदी को पसंद आ गई इस कैमरे की तकनीक, फिर कह दी बड़ी बात 17 अक्टूबर को फिर नासा करेगा कोशिश
लैंडर विक्रम को लेकर एक बार फिर नासा बड़ी कोशिश करने जा रहा है।
लैंडर विक्रम को लेकर एक बार फिर नासा बड़ी कोशिश करने जा रहा है।
दरअसल चांद पर इस वक्त रात है। ऐसे में सूरज निकलने का इंतजार है। इसके बाद नासा का एक बार फिर उस जगह से गुजरेगा जहां लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी। इसके बाद 17 अक्टूबर नासा उन तस्वीरों के बारे में कुछ जानकारी साझा कर सकता है जो उसके एलआरओ ने ली थीं।
इनका विश्वलेषण नई तस्वीरों के साथ करने के बाद लैंडर विक्रम से जुड़ी नई जानकारियां सामने आ सकती हैं। इन मिशन पर हो रहा काम
डॉ. के सिवन ने अपने अगले मिशन के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि अब उनका अगला सबसे महत्वपूर्ण मिशन आदित्य-एल1 है जो अगले साल अप्रैल में लॉन्च होगा।
डॉ. के सिवन ने अपने अगले मिशन के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि अब उनका अगला सबसे महत्वपूर्ण मिशन आदित्य-एल1 है जो अगले साल अप्रैल में लॉन्च होगा।
इससे पहले कार्टोसैट-3, रीसैट-2बीआर1 और रीसैट-2 बीआर2 लॉन्च किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि ये सभी निगरानी और जासूसी उपग्रह हैं।