हालांकि इसरो के वैज्ञानिक लैंडर से कम्यूनिकेशन बनाने के पुरजोर प्रयास में जुटे हैं। लेकिन इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है।
दरअसल, मून मिशन का ऑर्बिटर चांद के उन हिस्सों की तस्वीरें भेजेगा, जो हमेशा घने अंधेरे में रहते हैं। चांद का यह वो हिस्सा है, जहां कभी सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती।
दिल्ली में हल्की बारिश के बाद मौसम खुशनुमा, लोगों ने गर्मी में ली राहत की सांस
भारत की यह उपलब्धि पूरी दुनिया के लिए नई जानकारी होगी। इसरो वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चंद्रयान-2 का आर्बिटर बेहतरी ढंग से काम कर रहा है।
इसरो के पूर्व प्रमुख एएस किरण कुमार के अनुसार मून मिशन के दूसरे प्रयास में चंद्रयान-1 से कहीं ज्यादा बेहतर परिणाम निकल कर आने की उम्मीद है।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह माइक्रोवेव ड्यूल-फ्रिक्वेंसी सेंसर्स का होना है। इसकी मदद से चांद के हमेशा अंधेरे में डूबे रहने वाले हिस्सों की मैपिंग की जा सकेगी।
RJD के लिए खुशखबरी, काम करने लगी लालू यादव की 60% किडनी
कश्मीर मसले पर बौखलाए आतंकियों की नापाक हरकत, सेब के बागान में लगाई आग
खुलेगा राज ?
इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रयान-2 का यह ऑर्बिटर सटीक और सफल तरीके से कक्षा में स्थापित हो चुका है।
अब यह वह चांद की विकास यात्रा, सतह की संरचना, खनिज और पानी की उपलब्धता आदि की जानकारी इसरो को मुहैया कराएगा।
सबसे खास बात यह है कि चूंकि आर्बिटर ने बेहद सफल तरीके से कक्षा में प्रवेश किया। इसलिए उसमें ईंधन की बड़ी मात्रा शेष बची है।
इसका लाभ यह होगा कि आर्बिटर अब एक नहीं, बल्कि करीब 7 सालों तक ऑपरेशनल रहेगा।