दरअसल ISRO वैज्ञानिकों की मानें तो हर गुजरते घंटे के साथ लैंडर से संपर्क की उम्मीदें कम हो रही हैं। हालांकि इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क में एक टीम लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करने की लगातार कोशिश कर रही है।
अधिकारी ने कहा कि सही दिशा में होने के हालात में यह सौर पैनलों के चलते अब भी ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है और बैटरियों को फिर से चार्ज कर सकता है। सरकार ने लिया सबसे बड़ा फैसला, अब नहीं कटेगा आपके वाहन का चालान
इसरो के एक अधिकारी के मुताबकि हर गुजरते घंटे के साथ काम मुश्किल होता जा रहा है। बैटरी में उपलब्ध ऊर्जा खत्म हो रही होगी और इसके ऊर्जा हासिल करने तथा परिचालन के लिए कुछ नहीं बचेगा।
उधर..अमरीकी एजेंसी नासा भी अपने डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर से संपर्क बनाए हुए है। नासा के ताकतवर एंटीना चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क साध पा रहे हैं, लेकिन विक्रम लैंडर से कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
खगोलविद स्कॉट टायली ने भी कुछ दिन पहले ट्वीट कर विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित होने की संभावना जताई थी। लेकिन, अब वे भी यह कह रहे हैं कि विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा है। जबकि, ऑर्बिटर लगातार उसे भेजे गए संदेशों का जवाब दे रहा है।
तो मिलेंगी लैंडर की तस्वीरें
लैंडर से संपर्क के बीच 17 सितंबर का दिन काफी अहम है। क्योंकि इस दिन नासा का ऑर्बिटर चांद की उस पोजिशन से गुजरेगा जहां लैंडर विक्रम ने लैंड किया था। यही वजह है कि मंगलवार को पूरी दुनिया को वो तस्वीरें भी मिलेंगी जहां लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर कदम रखने का प्रयास किया और विफल रहा।
लैंडर से संपर्क के बीच 17 सितंबर का दिन काफी अहम है। क्योंकि इस दिन नासा का ऑर्बिटर चांद की उस पोजिशन से गुजरेगा जहां लैंडर विक्रम ने लैंड किया था। यही वजह है कि मंगलवार को पूरी दुनिया को वो तस्वीरें भी मिलेंगी जहां लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर कदम रखने का प्रयास किया और विफल रहा।
हर कोई जानना चाहता है कि आखिर वहां हुआ क्या है। अब तक हर बात संभावनाओं और आंकलनों के आधार पर कही गई है। लेकिन अब तस्वीरें बताएंगी कि आखिर लैंडर विक्रम की कंडीशन कैसी है।
यही वजह है कि हर किसी की नजर 17 सितंबर पर टिकी हुई है। ताकी उन्हें नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर से वो तस्वीरें मिलें जो हकीकत बयां कर सकें। घर में स्टॉक कर लें जरूरी चीजें, मौसम वैज्ञानिकों ने जारी कर दिया सबसे बड़ा अलर्ट
तस्वीरों तो मिलेंगी, लेकिन ये मुश्कि भी
लैंडर विक्रम में जहां हार्ड लैंडिंग की है वहां की तस्वीरें तो 17 तारीख को सामने आ सकती हैं, लेकिन इसमें भी एक पेंच है। दरअसल इस समय चांद पर शाम हो रही है, ऐसे में तस्वीरें कितनी साफ मिलेंगी ये कह पाना काफी मुश्किल है। उम्मीद है कि तस्वीरें कुछ साफ हों तो वैज्ञानिकों को बड़ी मदद मिल सकती है।
लैंडर विक्रम में जहां हार्ड लैंडिंग की है वहां की तस्वीरें तो 17 तारीख को सामने आ सकती हैं, लेकिन इसमें भी एक पेंच है। दरअसल इस समय चांद पर शाम हो रही है, ऐसे में तस्वीरें कितनी साफ मिलेंगी ये कह पाना काफी मुश्किल है। उम्मीद है कि तस्वीरें कुछ साफ हों तो वैज्ञानिकों को बड़ी मदद मिल सकती है।