लेकिन इसमें अभी तक निराश होने की कोई बात नहीं है।
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दरअसल, लैंडर विक्रम प्लान के विपरीत चांद की जमीन पर अपने स्थान से लगभग 500 मीटर दूर जा गिरा है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर अभी लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाए तो वह एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है।
इसरो से जुड़े सूत्रों के अनुसार लैंडर विक्रम ऐसी तकनीकी से लैस है, जिसमें गिरने या टकराने के बाद भी अपने पैरों पर खड़ा हुआ जा सकता है।
लेकिन इसके लिए जरूरी बात यह है कि पहले उससे संपर्क स्थापित हो। क्योंकि संपर्क होने के बाद ही उसको कंट्रोल किया जा सकता है।
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वैज्ञानिकों की मानें तो विक्रम लैंडर में एक ऑनबोर्ड कम्प्यूटर फिट है। लेकिर चांद की सतह पर गिरने की वजह से कम्युनिकेशन सिस्टम को कमांड देने वाला एंटीना दब गया है।
लैंडर की लोकेशन मिलने के बाद वैज्ञानिक अब उस एंटीना के माध्यम से विक्रम लैंडर को पैरों पर खड़ा करने के लिए कमांड देने का प्रयास कर रहे हैं।