इस पेलोड से मिली जानकारी ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। दरअसल मिशन चंद्रयान-2 के पीछे इसरो की जो मंशा थी उसमें कुछ हद तक सफलता मिलती नजर आ रही है।
BIG BREAKING महाराष्ट्र में बीजेपी को लगा सबसे बड़ा…कांग्रेस सांसद की इस एक…के बाद अब सोनिया गांधी ने…क्योंकि लैंडर विक्रम से मिलने वाली जनाकारी में मदद
इसरो की मानें तो उन्हें पेलोड के जरिये जो जानकारियां हाथ लगी हैं, दरअसल वो जानकारियां उन्हें लैंडर विक्रम की मदद से मिलना थी। हालांकि इन जानकारियों के आधार पर वैज्ञानिक कई बड़े नतीजों पर पहुंच सकते हैं।
इसरो की मानें तो उन्हें पेलोड के जरिये जो जानकारियां हाथ लगी हैं, दरअसल वो जानकारियां उन्हें लैंडर विक्रम की मदद से मिलना थी। हालांकि इन जानकारियों के आधार पर वैज्ञानिक कई बड़े नतीजों पर पहुंच सकते हैं।
यह है ऑर्गन-40
इसरो ने कहा कि आर्गन-40, नोबल गैस आर्गन का एक आइसोटोप है। आर्गन गैस चंद्रमा के बर्हिमडल का एक प्रमुख घटक है। एक तरह की गैस
दरअसल प्लेनेटरी वैज्ञानिक चंद्र के चारों तरफ इस पतले गैसीय एनवेलप को ‘लुनर एक्सोस्फीयर’ कहते हैं। इसके बेहद सूक्ष्म होने के कारण गैस के परमाणु बेहद मुश्किल से एक दूसरे से टकराते हैं।
इसरो ने कहा कि आर्गन-40, नोबल गैस आर्गन का एक आइसोटोप है। आर्गन गैस चंद्रमा के बर्हिमडल का एक प्रमुख घटक है। एक तरह की गैस
दरअसल प्लेनेटरी वैज्ञानिक चंद्र के चारों तरफ इस पतले गैसीय एनवेलप को ‘लुनर एक्सोस्फीयर’ कहते हैं। इसके बेहद सूक्ष्म होने के कारण गैस के परमाणु बेहद मुश्किल से एक दूसरे से टकराते हैं।
चांद की सतह के काफी नीचे रहता है मौजूद
इसरो के मुताबिक आर्गन-40, पोटैशियम-40 के रेडियोएक्टिव विघटन से पैदा होता है। रेडियोएक्टिव 40 के न्यूक्लियाड, विघटित होकर आर्गन 40 बनता है। रेडियोएक्टिव 40 के चंद्रमा की सतह के बेहद नीचे मौजूद होता है।
इसरो के मुताबिक आर्गन-40, पोटैशियम-40 के रेडियोएक्टिव विघटन से पैदा होता है। रेडियोएक्टिव 40 के न्यूक्लियाड, विघटित होकर आर्गन 40 बनता है। रेडियोएक्टिव 40 के चंद्रमा की सतह के बेहद नीचे मौजूद होता है।
चेस-2 से होगा फायदा
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चेस-2 पेलोड एक न्यूट्रल मॉस स्पेक्ट्रोमीटर-आधारित पेलोड है, जो 1-300 एएमयू (एटॉमिक मॉस यूनिट) की रेंज में लुनर न्यूट्रल एक्सोस्फीयर में घटकों का पता लगा सकता है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चेस-2 पेलोड एक न्यूट्रल मॉस स्पेक्ट्रोमीटर-आधारित पेलोड है, जो 1-300 एएमयू (एटॉमिक मॉस यूनिट) की रेंज में लुनर न्यूट्रल एक्सोस्फीयर में घटकों का पता लगा सकता है।
फिर रात के साये में चांद
चांद एक बार फिर रात से घने साये में पहुंच गया है। ऐसे में इस दौरान चांद से आई तस्वीरों का विश्लेषण किया जा रहा है। इसरो और नासा के वैज्ञानिक अपनी-अपनी तस्वीरों को मिलाकर उसका विश्लेषण कर रहे हैं, ताकि किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जा सके।
चांद एक बार फिर रात से घने साये में पहुंच गया है। ऐसे में इस दौरान चांद से आई तस्वीरों का विश्लेषण किया जा रहा है। इसरो और नासा के वैज्ञानिक अपनी-अपनी तस्वीरों को मिलाकर उसका विश्लेषण कर रहे हैं, ताकि किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जा सके।
औद्योगिक क्षेत्र में वरदान
चांद पर जिस गैस का पता चला है वो औद्योगिक क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो सकती है। आर्गन गैस का इस्तेमाल औद्योगिक क्षेत्र के कामकाज में अधिक होता है। किसी भी चीज को संरक्षित रखने में मददगार
यह फ्लोरेसेंट लाइट और वेल्डिंग के काम में भी इस्तेमाल होती है। इस गैस की मदद से सालों साल किसी वस्तु को यथावत संरक्षित रखा जा सकता है।
चांद पर जिस गैस का पता चला है वो औद्योगिक क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो सकती है। आर्गन गैस का इस्तेमाल औद्योगिक क्षेत्र के कामकाज में अधिक होता है। किसी भी चीज को संरक्षित रखने में मददगार
यह फ्लोरेसेंट लाइट और वेल्डिंग के काम में भी इस्तेमाल होती है। इस गैस की मदद से सालों साल किसी वस्तु को यथावत संरक्षित रखा जा सकता है।
तापमान नियंत्रण में कारगर
इस गैस की मदद से ठंडे से ठंडे वातावरण को रूम टेम्परेचर पर रखा जा सकता है। इसीलिए गहरे समुद्र में जाने वाले गोताखारों की पोशाक में इस गैस का उपयोग किया जाता है।
इस गैस की मदद से ठंडे से ठंडे वातावरण को रूम टेम्परेचर पर रखा जा सकता है। इसीलिए गहरे समुद्र में जाने वाले गोताखारों की पोशाक में इस गैस का उपयोग किया जाता है।