नई दिल्ली। मिशन चंद्रयान 2 को लेकर उम्मीदें अब तक खत्म नहीं हुई है। इसरो विक्रम लैंडर से लगातार संपर्क स्थापित करने में लगा हुआ है। इसी बीच नासा ने कहा है कि अब तक विक्रम लैंडर से कोई डाटा प्राप्त नहीं हुआ है। जबकि, इसरो का कहना है कि लूनर सरफेस का अध्ययन करने के लिए उसका पेलोड बेहतर काम कर रहा है। इस खबर ने चंद्रयान 2 को लेकर उम्मीदें फिर बढ़ा दी है।
चंद्रयान 2 के लैंडर और रोवर से चंद्र सतह की फिजिकल ऑबजर्वेशन के डेटा के अभाव में इसरो ने कहा कि सोडियम, कैल्शियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और लोहे जैसे तत्वों का पता लगाने के लिए पेलोड को जैसे काम करना चाहिए, वैसे काम कर रहा है। इतना ही नहीं इसरो को यह भी उम्मीद है कि चांद पर दिन होते ही विक्रम लैंडर एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है।
यहां आपको बता दें कि इसरो ने प्रक्षेपण से पहले कहा था कि लैंडर और रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर होगा। कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर से संपर्क स्थापित करना अब काफी मुश्किल लगता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 अक्टूबर को नासा का LRO फिर वहां से गुजरेगा और विक्रम लैंडर की तस्वीर खींचेगा।