2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद वो पहले मुख्यमंत्री बने। 2014 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 175 में 102 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी। 2019 में विधानसभा चुनाव में टीडीपी को सत्ता को बाहर होना पड़ा। विधानसभा चुनाव में उन्हें वाईएसआर प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने करारी शिकस्त दी। इससे पहले 1995 से 2004 तक अविभाजित आंध्र प्रदेश के भी वे सीएम रह चुके हैं।
पहली बार 28 की उम्र में बने विधायक चंद्रबाबू नायडू की शुरुआती स्कूली शिक्षा चंद्रागिरी और सेशापुरम में हुईं। इसके बाद उन्होंने तिरुपति के एसवीआर्ट्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया। कॉलेज के दिनों से वे सामाजिक और राजनीति से जुड़े कामों में दिलचस्पी रखते थे। बेहतरीन नेतृत्व क्षमता और राजनीति में रुचि के कारण वे बहुत जल्द लोकल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।
1978 में उन्होंने चित्तूर सीट से विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 28 साल की उम्र में वे केवल विधायक ही नहीं बने बल्कि कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री भी बने। आंध्र के इस उभरते सितारे को तकनीकी एजुकेशन और सिनेमोटोग्राफी पोर्टफोलियो भी मिला।
Coronavirus: लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय में आज से शुरू होगा कामकाज, सरकारी 4 दशक पहले बने एनटीआर के दामाद टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के सियासी करिअर को 1980 के बाद उड़ान मिलीं 1980 में उन्होंने तेलुगू फिल्म स्टार और राज्य के पूर्व सीएम एनटी रामाराव की बेटी भुवनेश्वरी के साथ वैवाहिक बंधन में बंधे। 1982 में एनटी रामाराव ने तेलुगू देशम पार्टी का गठन किया। चंद्रबाबू नायडू 1983 में इस पार्टी से जुड़ गए। 1983 में आंध्र प्रदेश में उन्होंने गैर कांग्रेसी टीडीपी सरकार बनाई थी। रामाराव 1983 से 1995 तक तीन कार्यकाल में 7 साल तक सीएम रहे।
1995 को वे बड़े ही नाटकीय ढंग से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1995 में नायडू ने अपने ससुर को सीएम पद से हटा दिया और खुद सीएम बन गए। नायडू ने तब आरोप लगाया था कि एनटीआर की जगह उनकी दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती शासन चला रही हैं। उन्होंने पार्टी के अंदर सास-ससुर के खिलाफ एक अलग गुट बना लिया और उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री पद से एनटीआर को इस्तीफा देना पड़ा। नायडू 1 सितंबर, 1995 को पहली बार राज्य के सीएम बने।
Lockdown 2.0: आज से देशभर में लॉकडाउन से राहत, दिल्ली-NCR छूट से बाहर एनटीआर से अलग बनाई पहचान 1995 में सीएम रहते नायडू ने अपनी पहचान एक टेक सेवी मिनिस्टर के रूप में बनाई। आंध्र को मॉडल स्टेट बनाने के लिए उन्होंने विजिन डॉक्यूमेंट 2020 तैयार किया। इसका मकसद आंध्र प्रदेश को बदलाव के राह पर लाना था। खासतौर से आईटी का इसमें अहम रोल होगा। इसका नतीजा ये हुआ कि हैदराबाद में कई आईटी कंपनियां स्थापित हुईं, जिसको साइबराबाद के नाम से भी जाना जाता है।
1999 के चुनाव में नायडू के नेतृत्व में टीडीपी ने 185 सीटों पर कब्जा किया। हालांकि इसके अगले चुनाव 2004 में उनकी पार्टी को बड़ा झटका लगा और सिर्फ 49 सीटों पर जीत मिली। 2009 के विधानसभा चुनाव में टीडीपी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया। 2014 के चुनाव में टीडीपी ने वापसी की और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसके बाद 2019 में उन्हें वाईएसआर के जगन मोहन रेड़डी ने करारी शिक दी।
चंद्रबाबू नायडू का जन्म 20 अप्रैल, 1950 को चित्तूर जिले में एक किसान परिवार में हुआ। आज उनका 71वां जन्मदिन है। वे अपने माता-पिता के सबसे बड़े बेटे हैं। नायडू की 2 बहन और 1 भाई है।