सीमा सडक़ संगठन की शिवालिक परियोजना के चीफ इंजीनियर एएस राठौड के अनुसार, इस पुल के बनने से इस प्राकृतिक आपदा के बाद मुख्यधारा से कट गए लोगों को चमोली जिले से जुडऩे में मदद मिलेगी। करीब 13 गांव अभी जिले से कटे हुए हैं, जिन्हें पुल के शुरू हो जाने से फायदा होगा।
इंजीनियर एएस राठौड़ ने बताया कि 40 टन वहन करने की क्षमता इस बेली ब्रिज की है। इसकी लंबाई 190 मीटर है। इस पुल को बनाने की समय सीमा आगामी 20 मार्च तक निर्धारित की गई थी, लेकिन सीमा सडक़ संगठन यानी बीआरओ ने इस कठिन समय में भी दिन रात एक करके पुल को करीब एक पखवाड़े पहले ही बना दिया। इस बेली ब्रिज का काम गत 25 फरवरी को शुरू किया गया था। परीक्षण के बाद इस पुल को कल यानी 5 मार्च को जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
– 7 फरवरी को ग्लेशियर फटने के बाद आए पानी के सैलाब में पुल बह गया था।
– 13 गांव पुल बहने के बाद चमोली जिले से कट गए थे।
– 25 फरवरी 2021 को सीमा सडक़ संगठन यानी बीआरओ ने पुल के निर्माण का काम शुरू किया।
– 40 टन है नए बने पुल की वहन क्षमता।
– 190 मीटर लंबा है यह नया बना हुआ पुल।
– 20 मार्च 2021 तक इस पुल का काम पूरा कर लिया जाना था।
– 15 दिन पहले ही बीआरओ ने इस पुल को बना लिया।
– 5 मार्च 2021 से यह पुल फिर से जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
– 25 इंजीनियर इस पुल को बनाने में जुटे रहे।
– 250 श्रमिकों ने दिन रात एक कर इस पुल को समय से पहले बना दिया।