इस दिन देवी के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता ( Maa Skandmata) की पूजा की जा रही है। आइए जानते हैं कि स्कंदमाता की पूजा से क्या मिलता है फल और कैसे मां पार्वती का नाम पड़ा स्कंदमाता।
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महादेव और मां पार्वती के पहले और षडानन यानी छह मुख वाले पुत्र कार्तिकेय (Lord Kartikey) का एक नाम स्कंद है, इसलिए मां के इस रूप को स्कंदमाता कहा जाता है। यही वजह है कि संतान प्राप्ति के लिए मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना को लाभकारी माना जाता है।
महादेव और मां पार्वती के पहले और षडानन यानी छह मुख वाले पुत्र कार्तिकेय (Lord Kartikey) का एक नाम स्कंद है, इसलिए मां के इस रूप को स्कंदमाता कहा जाता है। यही वजह है कि संतान प्राप्ति के लिए मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना को लाभकारी माना जाता है।
चार भुजाओं वाला है मां स्कंदमाता का स्वरूप
माता स्कंदमाता का स्वरूप चार भुजाओं वाला है। यही नहीं उनकी गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय बालरूप में विराजमान हैं। चार भुजाओं में से एक हाथ में कमल का फूल है, बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा है और नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल है।
माता स्कंदमाता का स्वरूप चार भुजाओं वाला है। यही नहीं उनकी गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय बालरूप में विराजमान हैं। चार भुजाओं में से एक हाथ में कमल का फूल है, बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा है और नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल है।
इसलिए कहते हैं पद्मासना
स्कंदमाता का वाहन सिंह है। हमेशा कमल के आसन पर स्थित रहने के कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। पूजा से बढ़ता है ज्ञान
ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है।
स्कंदमाता का वाहन सिंह है। हमेशा कमल के आसन पर स्थित रहने के कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। पूजा से बढ़ता है ज्ञान
ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है।
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नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करना अच्छा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पूजन से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं।
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करना अच्छा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पूजन से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं।
यही नहीं माता रानी अगर प्रसन्न हो जाएं तो स्वास्थ्य संबंधी सभी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। इनमें खासतौर पर त्वचा संबंधी कोई रोग हो तो उसे दूर हो जाता है। ऐसे करें पूजा
चैत्र नवरात्रि की पांचवे दिन स्नान आदि के बाद माता की पूजा शुरू करें। मां की प्रतिमा या चित्र को गंगा जल से शुद्ध करें। इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें। मिष्ठान का भोग लगाएं। माता के सामने घी का दीपक जरूर जलाकर कथा पढ़ें।
चैत्र नवरात्रि की पांचवे दिन स्नान आदि के बाद माता की पूजा शुरू करें। मां की प्रतिमा या चित्र को गंगा जल से शुद्ध करें। इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें। मिष्ठान का भोग लगाएं। माता के सामने घी का दीपक जरूर जलाकर कथा पढ़ें।