कांग्रेस का आरोप- कोरोना से हो रही मौतों की वास्तविक संख्या छिपा रहा केंद्र, इस राज्य का दिया उदाहरण
सरकार की ओर से कहा गया कि एक बार कोरोना महामारी फैलती है तो फिर पूरा विश्व एक यूनिट की तरह हो जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के 11 मार्च के एक हलफनामे में शीर्ष अदालत को सूचित किया गया, “एक बार जब महामारी महामारी का रूप ले लेती है, तो इसका प्रबंधन पूरे विश्व को (ए) इकाई के रूप में रखना होता है। वास्तव में, हलफनामे के अनुसार, सरकार ने तर्क दिया कि देश या राज्य-विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाना संभव नहीं था। सरकार ने “टीकाकरण के लिए वैश्विक क ार्रवाई” के हिस्से के रूप में वैक्सीन निर्यात की परिकल्पना की थी। केंद्र ने तर्क दिया कि कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩे और विदेशों से भारत में कोविड- 19 मामलों के आने की संभावना को कम करने” के लिए अन्य देशों में बड़ी आबादी को सुरक्षित करना बेहद जरूरी था।
हरियाणा: हिसार में CM मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ फूटा किसानों का गुस्सा, पुलिस ने किया लाठीचार्ज
केंद्र ने अपने हलफनामे मेें तर्क दिया कि जब तक दुनिया में बड़े पैमाने पर इस बीमारी पर काबू नहीं पा लिया जाता है, तब तक भारत महामारी से सुरक्षित नहीं है। इसने कहा कि निर्यात “सीमित” था और “घरेलू जरूरतों को सर्वोच्च प्राथमिकता” देते हुए किया गया था। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) ने कहा कि अमीर देशों को अपने बच्चों और टीनएजर्स को कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण की अपनी योजना में देरी करनी चाहिए और इसके बजाय कम आय वाले देशों को खुराक दान करनी चाहिए। WHO के महानिदेशक डॉ ट्रेडोस एडनॉम ग्रेबियसिस ने शुक्रवार को जिनेवा में एक सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, “मुट्ठी भर अमीर देशों ने टीके की आपूर्ति का अधिकांश हिस्सा खरीदा है, वो अब कम जोखिम वाले समूहों को टीका लगा रहे हैं।