भारत में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) का कहर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कोरोना के खिलाफ चल रही जंग को जीतने के लिए केंद्र सरकार अब पूर्व सैन्यचिकित्साकर्मियों यानी आर्मी से रिटायर डॉक्टर्स और दूसरे स्टाफ की मदद लेगी। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, देश में कोविड-19 के रिकॉर्ड संक्रमण और इससे हो रही मौतों के कारण स्वास्थ्य प्रणाली काफी दबाव में है। इसे मजबूती देने के लिए सेना के रिटायर डॉक्टर्स और दूसरे स्टाफ की मदद ली जाएगी।
रक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, करीब 400 चिकित्सा अधिकारियों को करीब 11 महीनों के लिए कांटे्रक्ट पर नियुक्त किया जाएगा। कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में ऑनलाइन कंसल्टेशन के लिए दूसरे डिफेंस डॉक्टर्स की मदद भी ली जाएगी। बता दें कि देश में कोरोना संक्रमण की वजह से नए केस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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द इंस्टीट्यूट फ़ॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन का अनुमान है कि भारत में अगस्त तक कोविड-19 से दस लाख मौतें हो सकती हैं। देश के कई हिस्सों में अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की भारी कमी देखने को मिल रही है और श्मशान घाटों में शवों की संख्या बहुत बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के मामलों और उससे होने वाली मौतों की संख्या सामने आ रहे आंकड़ों से कहीं ज़्यादा हैं। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भी चल रहा है। अब तक 16 करोड़ से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। यह भी पढ़ें
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तेलंगाना में एमबीबीएस पास किए छात्रों की तुरंत नियुक्तियही नहीं, तेलंगाना सरकार ने भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एमबीबीएस पास किए छात्रों को नियुक्त करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राज्य में एमबीबीएस पास किए छात्रों को तुरंत नियुक्त करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री राव ने कहा कि इससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई में शामिल डॉक्टरों और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों पर दावब कम होगा। तेलंगाना सरकार ने करीब 50 हजार ऐसे छात्रों से आवेदन मांगे हैं, जिन्होंने हाल ही में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है और चिकित्सा सेवा के लिए योग्य हैं।
मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के मुताबिक, एमबीबीएस पास किए इन छात्रों को कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई के लिए दो से तीन महीनों के लिए डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट या पैरामेडिकल स्टाफ के तौर पर नियुक्त किया जाएगा।