नई दिल्ली। देशभर में गुरुवार को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की धूम मची रही। छोटो-बड़े मंदिरों और घर-घर में नटखट कान्हा के भजन-कीर्तन होते रहे। घर-घर पूजाघर सजाए गए। मंदिरों में जबरदस्त सजावट की गई है। मंदिर के साथ ही प्रमुख मार्गों को भी बिजली की झालरों, फूल-पत्तियों और झंडियों से सजाया गया है। जगह-जगह डीजे के बजाकर श्रीकृष्ण का भजनों के माध्यम से गुणगान होता रहा। सजीव झांकियों में सजेधजे बच्चे कान्हा के भजनों पर थिरके। झांकियां और मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ा। सुरक्षा के लिए व्यापक स्तर पर पुलिस बल तैनात रहा। जन्माष्टमी के मौके पर हर कोई कृष्ण के रंग में ही रंगा दिखा। खासतौर पर नन्हे-मुन्ने बच्चे भी छोटे कान्हा और मनमोहक राधा-रानी की तरह सज-धज कर भगवान की भक्ति करते दिखे। माथे पर मुकुट और मोर पंख, गुलाबी गाल और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी के अवसर पर देशभर के मंदिरों में हरे कृष्णा, हरे रामा की गूंज रही और छोटे-छोटे बच्चे कृष्ण कन्हैया की पोशाक पहनकर मंदिरों में झांकी देखने आए लोगों के आकषर्ण का प्रमुख केंद्र रहे। महाराष्ट्र में हजारों लोग भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़ी घटनाओं को नृत्य नाटिका के रूप में पेश करने के लिए एकत्र हुए और दही हांडी का भी आयोजन किया गया। उत्तर भारत में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर गीतों और नृत्यों का आयोजन किया गया। रात में 12 बजते ही भगवान कृष्ण की प्रतिमा को नहलाया गया और नगाड़ों की धूमधाम के साथ उन्हें फूलों से सजे पालने में बिठा कर झुलाया गया। भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और वृंदावन में लाखों तीर्थयात्रियों ने मुख्य मंदिरों में पूजा अर्चना की गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की। देशभर के इस्कॉन मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। वहीं जम्मू में लोगों ने पतंग उड़ाकर जन्माष्टमी मनाई। इस अवसर पर विशेष शोभा यात्राएं भी निकाली गईं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में हजारों लोग गोविंद देवजी के मंदिर में एकत्र हुए। पंजाब के फगवाड़ा जिले में केवल महिलाओं के लिए बने मंदिर श्रीसंधूरण देवी मंदिर के द्वार इस अवसर पर पुरूषों के लिए भी खोले गए. सालभर इस मंदिर में पुरूषों का प्रवेश वर्जित होता है और केवल जन्माष्टमी के मौके पर ही पुरूषों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। तमिलनाडु में मकानों को भगवान कृष्ण की मूर्तियों से सजाया गया था और भगवान को दूध, घी तथा मक्खन से बनी मिठाई सिदाई का भोग लगाया गया।