रविवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता कम से कम तीन इलाकों में ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई जबकि अधिकांश अन्य इलाकों में ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी रही। इससे पहले शनिवार को शहर की ओवरऑल एक्यूआई रीडिंग 345 थी रिकॉर्ड की गई थी।
हालांकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि हवा की गति में सुधार से शहर को अच्छी खबर मिल सकती है, लेकिन पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से होने वाले धुएं से प्रदूषण का स्तर मंगलवार तक ‘काफी ज्यादा’ कैटेगरी में पहुंच जाएगा, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है।
पंजाब और हरियाणा से पराली जलाने पर निकलने वाला धुआं दिल्ली की हवा में पर्टिकुलेट मैटर (2.5 से 10 माइक्रोन के बीच के आकार के साथ बेहद सूक्ष्म कणों) बढ़ाने में प्रमुख योगदान देता है। यह सूक्ष्म कण एक व्यक्ति के फेफड़ों और यहां तक कि रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे श्वसन और हृदय संबंधी रोग हो सकते हैं।
रविवार को शाम 6 बजे तक सीपीसीबी के समीर ऐप पर अपलोड किए गए आंकड़ों के मुताबिक जहांगीरपुरी, आनंद विहार और बवाना में क्रमशः 403, 401 और 405 रीडिंग के साथ हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ थी। जब AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में होती है, तो हवा स्वस्थ लोगों को प्रभावित करती है और पहले से बीमार लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। शुक्रवार को दिल्ली के 36 निगरानी स्टेशनों में से 10 में वायु की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई थी।
आईएमडी के क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि रविवार को हवा की गति लगभग 8 किमी प्रति घंटा थी, जो उत्तर-पश्चिमी दिशा से बह रही थी। इससे पंजाब और हरियाणा राज्यों में पराली जलाने से निकलने वाला धुंआ यहां आ रहा है।
श्रीवास्तव ने कहा, “सोमवार को मौसम की स्थिति काफी हद तक समान रहने की संभावना है, जिसका मतलब है कि भले ही हमें थोड़ी हवा मिले, लेकिन हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं होगा, क्योंकि हवाएं धुएं का प्रवाह जारी रखेंगी।” उन्होंने कहा कि मंगलवार शाम से हालात सुधरने शुरू हो सकते हैं।