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CACP का सुझाव, किसानों को सीधे मिले फर्टिलाइजर सब्सिडी 5000 रुपए सालाना

सीएसीपी आयोग ने कहा है कि इससे किसानों को अपनी जरूरत का उर्वरक खरीदने का विकल्प मिलेगा।
केंद्र सरकार किसानों को साल दो बार 2500 रुपए की किस्तों में रकम दे।
अगर ऐसा हुआ तो किसानों के लिए कुल केंद्रीय मदद की रकम सालाना हो जाएगी 11 हजार।

Sep 24, 2020 / 09:06 am

Dhirendra

सीएसीपी आयोग ने कहा है कि इससे किसानों को अपनी जरूरत का उर्वरक खरीदने का विकल्प मिलेगा।

नई दिल्ली। कृषि लागत और मूल्य निर्धारित करने वाले आयोग ( CACP ) ने पहली बार सरकार को यह सुझाव दिया है कि किसानों को साल में पांच हजार रुपए की फर्टिलाइजर सब्सिटी सीधा उनके खाते में ही प्रदान करें। सीएसीपी ही वह संस्था है जो न्यूनतम समर्थन मूल्यों का निर्धारण करने के लिए सरकार को सुझाव देती है।
आयोग का सुझाव है कि यह सब्सिडी किसानों को 2500-2500 रुपए की दो किस्तों में दिया जाना चाहिए। पहली किस्त रवि की फसल के लिए तो दूसरा हिस्सा खरीफ की फसल के लिए दिया जाए। यदि सरकार आयोग के सुझावों को मान लेती है तो फर्टिलाइजर कंपनियों को सब्सिडी की राशि देने का प्रावधान समाप्त हो जाएगा।
वर्तमान व्यवस्था में किसानों को यूरिया की आपूर्ति रियायती दरों में बाजार से होती है। अभी फर्टिलाइजर कंपनियों को यूरिया की बिक्री हो जाने के बाद दी जाती है। किसानों को यह राहत खरीदते समय बिक्री केंद्रों पर पीओएस मशीनों के जरिये मिलती है।
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएमके) के तहत अभी केंद्र सरकार किसानों को सालाना छह हजार रुपए प्रदान करती है। यह राशि तीन हिस्सों मे किसानों के खाते में जमा होती है। यदि फर्जिलाइजर के लिए भी किसानों को सीधे रकम मिलनी शुरू हो जाती है तो कुल मिलाकर किसानों को केंद्र सरकार से 11 हजार रुपये सालाना की सहायता मिलने लगेगी। यह रकम यूनिवर्सल बेसिक इनकम के करीब है।
सीएसीपी ने रवि फसलों की मार्केटिंग से संबंधित अपनी 2021-22 की मूल्य नीति में कहा है कि ‘ फर्टिलाइजर सब्सिडी के लिए नीति में बदलाव करते हुए सीधे किसानों को रकम शिफ्ट करने की जरूरत है।’ यह भी कहा गया है कि अच्छी फसलों से लिए उर्वरकों की जरूरत तो है ही, इसके लिए दी जाने वाली सहायता भी सीधे किसानों को मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी सुविधा और जमीन की उपयोगिता के आधार पर जरूरत के अनुसार इसे खरीद सकें। उनके पास खरीदने का विकल्प रहना चाहिए।
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आयोग का यह भी मानना है कि चूंकि ज्यादातर किसान छोटे या मध्यम आय श्रेणी के हैं, इसलिए उन्हें सरकार की तरफ से सहायता बरकरार रहनी चाहिए।

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