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दरअसल, कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज को लेकर बरती जा रही घोर लापरवाही को लेकर बीएसएफ ने कंपाजिट अस्पतालों पर सख्ती दिखाई है। सुरक्षा बल ने अस्पतालों के इस रैवये पर गंभीरता दिखाते हुए उनको नोटिस जारी किया है। बीएसएफ ने निर्देश दिए हैं कि अगर कोई बीएसएफ जवान, परिवार जन या फिर सेवानिवृत कर्मचारी इन अस्पतालों में इलाज के लिए आता है, तो उसको किसी भी सूरत में भर्ती करने से मना नहीं किया जाएगा और न ही उसको सिविल अस्पतालों के लिए रेफर किया जाएगा। हां, अगर कोई कोरोना रोगी अन्य अस्पताल में रेफर किया भी जाता है, तो उसको उसके लिए स्पष्टीकरण देना होगा। इस पूरे मामले में अगर किसी स्तर पर कोई चूक पाई जाती है तो चिकित्सा अधीक्षक अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होंगे।
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आपको बता दें कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) में कोरोनो वायरस संक्रमण संबंधी 6 जून तक उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि सुरक्षा बलों के बीच इस जानलेवा वायरस से ठीक होने की रिकवरी दर काफी अधिक है। अब तक लगभग 70 फीसदी जवान कोरोना को हरा चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) 87.89 प्रतिशत रिकवरी के सुरक्षाबलों में सबसे ऊपर है। जबकि बीएसएफ में कोरोना से ठीक होने वालों की दर 82.94 प्रतिशत है। वहीं 68.86 प्रतिशत की रिकवरी दर के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) तीसरे स्थान पर बना हुआ है। इसके साथ ही केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने 58.92 प्रतिशत की रिकवरी दर दर्ज हुई है।
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CAPFs के 1,668 जवान मिले कोरोना पॉजिटिव, जिसमें से 1,157 ठीक हुए। इसमें से 511 को ही कोरोना हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। 10 जवानों की मौत के साथ यहां मृत्यु दर 59 प्रतिशत है। इसके साथ ही सीआरपीएफ में 149, बीएसएफ में 82, आईटीबीपी में 26, सीआईएसएफ में 134, एसएसबी में 63, एनएसजी में 22 और एनडीआरएफ में 25 मामले एक्टिव बने हुए हैं। आपको बता दें कि सीएपीएफ में कोरोनो वायरस का पहला मामला 28 मार्च को सामने आया था।