लखनऊ। नेशनल सिक्युरिटी एक्ट (एनएसए) एडवाइजरी बोर्ड द्वारा हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी पर आरोप निश्चित किए जाने के बाद उनकी जल्द रिहाई के लिए उनके परिवार को अब इलाहाबाद हाई कोर्ट और केंद्रीय गृह मंत्रालय से उम्मीद है। लखनऊ पुलिस ने तिवारी पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी करने पर एनएसए के तहत मामला दर्ज किया था। रविवार को मुख्य सचिव देबाशीष पांडा ने तिवारी पर लगे आरोपों की पुष्टि की। समिति ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पैनल के लिए तीन लोगों को शामिल किया है। इसका मतलब है कि कारावास की तारीख से अगले 12 महीनों के बीच तिवारी की रिहाई नहीं होगी। हालांकि यह इलाहाबाद हाई कोर्ट या केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों पर भी निर्भर करेगा। इस बीच तिवारी के बेटे सत्यम ने कहा कि उनके पिता को राहत दिलाने के लिए परिवार अब हाईकोर्ट से अपील करने की तैयारी कर रहा है। हिंदू महासभा के नेता मोहित ने कहा कि चूंकि अब एडवाइजरी बोर्ड ने एनएसए की पुष्टि कर दी है, इसलिए हमने राज्यपाल राम नाइक से गुहार लगाई है। साथ ही हम अपनी याचिका गृह मंत्रालय को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। अखिल भारतीय हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने भी तिवारी के लिए हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है। कमलेश तिवारी के एबीएचएम के अध्यक्ष होने का दावा किया जाता है। रविवार को हुई एक मीटिंग में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने विधानसभा के बजट सेशन के दौरान तिवारी पर एनएसए लगाए जाने के खिलाफ बड़ा विरोध करने का फैसला किया है। क्या है मामला मामला उस वक्त शुरू हुआ जब यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने 29 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों को ‘समलैंगिक’ बताया था। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी प्रतिक्रिया में ही तिवारी ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी की और मुस्लिमों के खिलाफ प्रचार पुस्तिकाएं बांटीं। कुछ दिन तक उनका बयान सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हुआ, जिसके बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं का ध्यान इस ओर गया। बाद में तिवारी का बयान उर्दू मीडिया में भी छपा। बयान पर पहली प्रतिक्रिया स्वरुप 2 दिसंबर को सहारनपुर के देवबंद में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। इसमें दारूल उलूम के स्टूडेंट्स शामिल हुए। मुसलमानों में फैले गुस्से के मद्देनजर तिवारी को 2 दिसंबर को अरेस्ट कर लिया गया। वह फिलहाल जेल में हैं। शांति कायम करने के लिए सीएम अखिलेश यादव ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बीते बुधवार को अपने आवास पर मीटिंग भी की। सीएम ने आश्वासन दिया कि तिवारी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लखनऊ जिला अधिकारियों ने उनके खिलाफ एनएसए के तहत केस दर्ज किया था। हालांकि तिवारी को स्थानीय अदालत से बेल मिल गई थी, लेकिन एनएसए लगे होने की वजह से उन्हें रिहाई नहीं मिली। तिवारी का सिर काटने पर 51 लाख रुपए का इनाम: इमाम चार दिसंबर को मुस्लिमों के जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के दौरान सरेआम जामा मस्जिद बिजनौर के इमाम अनवारुल हक ने कमलेश तिवारी का सिर काटकर लाने वाले को 51 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी। इसके अगले दिन थाना किरतपुर क्षेत्र के ग्राम भनेड़ा निवासी मुफ्ती नईम अहमद ने भी कमलेश तिवारी का सिर काटकर लाने पर डेढ़ करोड़ के इनाम का एलान कर दिया था।