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गूगल ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को किया याद, 102वीं जयंती पर डूडल बनाकर दी श्रद्धांजलि

गूगल डूडल में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को एक सफेद रंग की पोशाक पहनकर शहनाई बजाते हुए दिखा गया है।

Mar 21, 2018 / 10:12 am

Chandra Prakash

shehnai master Bismillah Khan
नई दिल्ली। भारत रत्न से सम्मानित दुनिया भर में विख्यात शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के 102वें जन्मदिन के मौके पर आज गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। गूगल डूडल में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को एक सफेद रंग की पोशाक पहनकर शहनाई बजाते हुए दिखा गया है। जिसके पाश्र्व में एक ज्यामितीय स्टाइल में एक पैटर्न है और गूगल लिखा हुआ है।
14 साल की उम्र में शुरु किया शहनाई वादन
बिस्मिल्लाह खां का जन्म 21 मार्च 1916 में हुआ था। उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री समेत दर्जनों पुरस्कारों से नवाजा गया। वह तीसरे भारतीय संगीतकार थे, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। उन्होंने 14 साल की उम्र में सार्वजनिक जगहों पर शहनाई वादन शुरू कर दिया था। हालांकि, 1937 में कोलकाता में इंडियन म्यूजिक कॉन्फ्रेंस में उनकी परफॉर्मेंस से उन्हें देशभर में पहचान मिली।
21 अगस्त को दुनिया से कर गए रुखसत
उस्ताद खां ने एडिनबर्ग म्यूजिक फेस्टिवल में भी परफॉर्म किया था जिससे दुनिया भर में उन्हें ख्याति मिली। दिल का दौरा पड़ने की वजह से 21 अगस्त 2006 को वह दुनिया से रुखसत हो गए।
आजादी से भी बिस्मिल्लाह खां का अनोखा संबंध
भारत की आजादी और खां की शहनाई का भी खास रिश्ता रहा है। 1947 में आजादी की पूर्व संध्या पर जब लालकिले पर देश का झंडा फहरा रहा था तब उनकी शहनाई भी वहां आजादी का संदेश बांट रही थी। तब से लगभग हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के भाषण के बाद बिस्मिल्ला की शहनाई वादन एक प्रथा बन गयी। खान ने देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपनी शहनाई की गूंज से लोगों को मोहित किया। अपने जीवन काल में उन्होंने ईरान, इराक, अफगानिस्तान, जापान, अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे अलग-अलग मुल्कों में अपनी शहनाई की जादुई धुनें बिखेरीं।
कई फिल्मों में दी धुन
खां ने कई फिल्मों में भी संगीत दिया। उन्होंने कन्नड़ फिल्म ‘सन्नादी अपन्ना’, हिंदी फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ और सत्यजीत रे की फिल्म ‘जलसाघर’ के लिए शहनाई की धुनें छेड़ी। आखिरी बार उन्होंने आशुतोष गोवारिकर की हिन्दी फिल्म ‘स्वदेश’ के गीत ‘ये जो देश है तेरा’ में शहनाई की मधुर तान बिखेरीं। खान के संगीत के सफर को याद करते हुए पंडित मोहनदेव कहते हैं कि भारत रत्न, पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण जैसे अलंकारों और पुरस्कारों से सम्मानित बिस्मिल्ला खान का संगीत उनके दुनिया से जाने के बाद भी अमर है।

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