ये बात महाराष्ट्र और कर्नाटक में दिन के औसत तापमान और नमी का कोविड-19 ( Covid-19 ) के बढ़ते मामलों के संबंध को लेकर हुए एक अध्ययन में सामने आई है।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि तापमान में वृद्धि से कोरोना पर असर भले ही पड़े, भारत को सोशल डिस्टेंसिंग ( Social Distancing ) और लॉकडाउन ( Lockdown ) जैसे उपायों को नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसा इसलिए कि सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन भारतीय परिस्थितियों में बहुत कारगर उपकरण साबित हो रहा है।
नीरी के अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि महाराष्ट्र में तापमान बढ़ने के साथ कोरोना के प्रकोप घटने में 85 फीसदी संबंध है, वहीं, कर्नाटक में तापमान बढ़ने और कोरोना का प्रकोप कम होने के बीच 88 फीसदी तक गहरा संबंध है। कोरोना वायरस ठंड और सूखे की स्थिति में ज्यादा समय तक जीवित रहता है। यह 21 से 23 डिग्री तापमान पर किसी सख्त सतह पर 72 घंटे तक जिंदा रह सकता है।
इस अध्ययन में जब महाराष्ट्र और कर्नाटक के तापमान और सापेक्षिक आद्रता के औसत आंकड़ों का मूल्यांकन किया गया तो यह पाया गया कि 25 डिग्री या उससे ऊपर के दैनिक औसत तापमान होने पर कोविड-19 के केसों में कमी दर्ज की गई। यह भी कहा गया है कि तापमान का बढ़ना भारत में कोरोना के संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हो रहा है।
दरअसल, जिस कोरोना वायरस ने दुनिया में कोहराम मचा रखा है, उस पर दूसरे कोरोना वायरस की तरह ही लिपिड की एक परत होती है। ठंड में इसकी बाहरी सतह कड़ी हो जाती है, जिससे इसके ऊपर एक और परत पड़ जाती है और वायरस ज्यादा लचीला हो जाता है। यही वजह है कि ऐसे वायरस ठंड में ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।