कोरोना वायरस मरीजों के इलाज का भारी-भरकम बिल देने वाले निजी अस्पतालों की बढ़ी मुश्किलें केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ( MoHFW ) का आरोप है कि दिल्ली ( Delhi ) में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ( Contact Tracing ) ठीक से नहीं की जा रही है। आलम यह है कि राजधानी ( Delhi ) के 11 जिलों में से कई के हालात काफी खराब हैं, लेकिन हम हर मदद को तैयार हैं। मुंबई ( Mumbai ) के धारावी को इसके बड़े उदाहरण के रूप में लिया जा सकता है।
मंत्रालय के मुताबिक कम्युनिटी ट्रांसमिशन ( Community Transmission ) का मतलब वह स्थिति जिसमें संक्रमण ( infection ) के सोर्स के बारे में निश्चित तौर पर कुछ न कहा जा सके। राजधानी ( Delhi ) में कोरोना वायरस ( Coronavirus ) के तकरीबन आधे केस इस तरह के ही हैं।
सरकार की मानें तो राजधानी ( Delhi ) में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन ( Community Transmission ) की स्थिति नहीं है। कंटेनमेंट जोन में सक्रिय मामलों को और बेहतर ढंग से ढूंढने की जरूरत है। जब तक उचित ढंग से सोर्स का पता नहीं लगाया जाता, कंटेनमेंट जोन से मामले सामने आते ही रहेंगे। ऐसे में घर-घर अभियान को बेहतर किए जाने की जरूरत है।
वहीं, राजधानी ( Delhi ) के 11 में से कुछ जिलों के हालात बेहतर हैं। पांच जिलों में कोरोना पॉजिटिव केस की दर 20 फीसदी से भी ज्यादा है। नई दिल्ली ( Delhi ) और दक्षिण दिल्ली ( Delhi ) की हालत बेहतर है। तकनीकी के साथ-साथ सभी तरह की सहायता को केंद्र तैयार है। पहले धारावी में रोजाना 60-80 नए केस सामने आ रहे थे और 10-12 की मौत हो रही थी, लेकिन बीते पांच दिनों से रोजाना केवल 10-17 नए मामले निकल रहे हैं और एक भी मौत नहीं हुई है।
देश भर में कोरोना मरीजों की सेवा में जुटे डॉक्टरों को मिलने वाली सैलरी को लेकर बड़ा खुलासा कम्यूनिटी ट्रांसमिशन ( Community Transmission ) शुरू होने का मतलब है कि यदि कहीं पर बीमारी के सोर्स का पता नहीं चल पाए। फिर भी अधिकारी इसकी जांच के बाद ही यह तय करेंगे कि ये ट्रांसमिशन कौन से चरण का है। हर राज्य में स्वास्थ्य विभाग ने संदिग्ध लोगों तक पहुंचने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। अगर कॉस्टैक्ट ट्रेसिंग के बाद भी बीमारी का सोर्स पता ना चल पाए तो इसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन ( Community Transmission ) माना जा सकता है।