देश के अलग-अलग राज्यों में वैक्सीनेशन से पहले कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जो टीकाकरण अभियान की सफलता को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के वाराणी में जहां खराब गाड़ी में वैक्सीन को पहुंचाया गया वहीं पश्चिम बंगाल में नेता की रैली के चलते वैक्सीन पहुंचाने के मार्ग की बदलना पड़ गया।
कोरोना से जंग के बीच वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का बड़ा अलर्ट, 2020 से ज्यादा कठिन होगा 2021 ऐसे लापरवाहियां कोरोना वायरस के खिलाफ चल रहे अभियान को झटका दे सकती हैं। आईए जानते हैं क्या है पूरा मामला
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में लापरवाही
कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू होने से पहले पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। ड्राई रन के दौरान साइकिल से वैक्सीन पहुंचाने पर हुई किरकिरी के बावजूद वाराणसी का स्वास्थ्य विभाग सजग नहीं हुआ है।
एयरपोर्ट से पांडेयपुर स्थित ड्रग वेयर हाउस तक जिस वाहन से वैक्सीन लाई गई, उसका फिटनेस परिवहन विभाग के वेबसाइट पर करीब 14 साल पहले ही खत्म दिखा रहा है। हालांकि गनीमत ये रही कि वैक्सीन सुरक्षित पहुंच गई। वरना लापरवाही में कोई कमी नहीं रही थी।
आरटीओ की वेबसाइट के अनुसार वाहन का फिटनेस मई 2006 में ही समाप्त हो चुका है। उसका रजिस्ट्रेशन 15 मई 2004 को हुआ था। डीएम कौशलराज शर्मा ने कहा है कि इस मामले की जांच की जाएगी।
बंगाल में टीएमसी नेता के चलते हुई देरी
कोरोना की वैक्सीन लोगों के लिए कितनी जरूरी है, इसे समझाने की किसी को जरूरत नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल में शायद अभी तक इसके महत्व से नेता वाकिफ नहीं है। नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे ममता बनर्जी कैबिनेट में राज्य मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी की अगुवाई में बुधवार को राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया गया था।
कोरोना संकट के बीच भारत को मिली बड़ी कामयाबी, तैयार कर दी दुनिया की खास एमआरएनए तकनीक वाली वैक्सीन इसके चलते बर्धमान जिले में बुधवार को टीके ले जाने वाले एक विशेष वाहन को रोक दिया गया। बर्धमान के पुलिस अधीक्षक भास्कर मुखोपाध्याय ने कहा कि वैक्सीन ले जाने वाली इंसुलेटेड वैन को कोलकाता और नई दिल्ली को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने के कारण एक गांव से पांच किलोमीटर की दूरी पर डायवर्ट किया गया था।
वैसे तो अब तक टीकाकरण शुरू नहीं हुआ, लेकिन उससे पहले हो रही इस तरह की लापरवाहियां किसी बड़ी मुश्किल को खड़ी कर सकती हैं।