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Balakot Air Strike Anniversary: इस दिन दुश्मन ने देखा था भारतीय जाबांजो का साहस, जानें कैसे दिया गया था मिशन को अंजाम

साल 1971 के युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ था कि भारतीय वायुसेना ने फ्रंटलाइन फोर्स की तरह एलओसी ( LOC ) बॉर्डर ( Border ) पार कर दुश्मन के घर में घुसकर उसे धूल चटाई। यहां तक कि करगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने एलओसी को पार नहीं किया था।

Feb 26, 2020 / 10:20 am

Piyush Jayjan

Balakot Air Strike

नई दिल्ली। बालाकोट एयर स्ट्राइक ( Balakot Air Strike Anniversary ) को आज एक साल पूरा हो गया है। बालाकोट एयर स्ट्राइक को भारतीय वायुसेना ( Indian Airforce ) के जाबांजी भरे कारनामे के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। 14 फरवरी 2019 को कश्‍मीर के पुलवामा ( Pulwama ) में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए बड़े हमले में 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे।

इस घटना के बाद पूरा देश में गुस्से में था। भारतीय सेना ने 12 दिनों के भीतर ही बालाकोट में जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकी ठिकानों को पूरी तरह नेस्तानाबूद कर दिया था। भारतीय सैनिकों की इस एयर स्‍ट्राइक से पूरे पाकिस्तान में खलबली मच गई थी। एयरफोर्स ( Airforce ) के इस कदम से पूरी दुनिया में यह संदेश गया कि भारत अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए सख्‍त कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेगा।

भारतीय वायुसेना ( Indian Airforce ) की इस कार्रवाई से ये तो साफ हो गया कि अगर भविष्य में दुश्मन ने भारत की तरफ आंखे उठाने की कोशिश की तो उसका हश्र ठीक वैसा ही होगा जैसा कि बालाकोट के आंतकी कैंप में पनप रहे आतंकियों का हुआ था। साल 1971 के युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ था कि भारतीय वायुसेना ने फ्रंटलाइन फोर्स की तरह एलओसी ( LOC ) बॉर्डर ( Border ) पार कर दुश्मन की धरती में उसे धूल चटाई।

करगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने एलओसी को पार नहीं किया था। पुलवामा ( Pulwama ) में सीआरपीएफ ( CRPF ) के काफिले पर हुए हमले के बाद पूरा देश उबल रहा था। आतंकी संगठन, जैश ए मोहम्मद ने कश्मीर के स्थानीय आतंकियों के साथ मिलकर इस हमले को अंजाम दिया था। ऐसे में पूरा देश अपनी मातृभूमि पर न्यौछावर होने वाले शहीदों की शहादत का बदला चाहता था।

26 फरवरी 2019 की सुबह तकरीबन 3.00 बजे, भारतीय वायुसेना के 12 मिराज ( Mirage 2000 ) लड़ाकू विमानों ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी। जिन्हें छह-छह के दो ग्रुप में बांटा गया था। नंबर वन स्कॉवड्रन को ‘टाईगर्स’ और नाइन को ‘वुल्फपैक’ के नाम से भी जाना जाता है। सभी मिराज 2000 फाइटर जेट स्पाइस 2000 बमों से लैस थे। करीब 1000 किलो के इन स्पाइस 2000 ‘प्रेशसियन म्युनिसेन’ में करीब 100 किलो बारूद भरा था।

जो किसी भी निशाने को तबाह करने के लिए काफी था। फाइटर जेट के एक ग्रुप को खबैर-पख्तूनख्वां प्रांत के मनशेरा जिले के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ( Jaish-e-Mohammed ) के ट्रैनिंग कैंप पर हमला करना था। इस मिशन में मिराज का साथ दिया सुखोई और आईएल-78 रिफ्युलर ने, ताकि हवा में ही जेट की रिफ्यूलिंग भी की जा सकें। इसके साथ ही एक दस्ता पाकिस्तानी वायुसेना की हर हरकत पर नज़र बनाए हुआ था।

सुबह 3.40 बजे बरेली, शिमला, श्रीनगर, उरी और पीओके के मुज्जफराबाद के रास्ते से होता हुआ मिराज का एक ग्रुप एलओसी पार कर पाकिस्तान के बालाको़ट के करीब पहुंचा। फाइटर जेट्स ने अपना निशाना ढूंढ उस पर स्पाइस 2000 बम दाग दिए। जिसमें से चार बम सीधे जैश के ट्रैनिग कैंप में जाकर गिरे और पूरा कैम्प आग के गोले में तब्दील हो गया। मिराज फाइटर जेट का दूसरा ग्रुप राजस्थान सीमा की तरफ चल गया था ताकि पाकिस्तानी वायुसेना को गुमराह किया जा सकें।

वायुसेना की ये चाल कामयाब हो गई और पाकिस्तानी वायुसेना राजस्थान सीमा की तरफ अलर्ट हो गई और जब तक पाक एयरफोर्स होश में आती तब तक भारतीय वायुसेना अपने मिशन को अंजाम दे चुकी थी। कुछ ही देर में सभी भारतीय पायलट अपने फाइटर जेट मिराज 2000 सुरक्षित अपनी सीमा में लौट आए। इससे पहले कि पाकिस्तानी वायुसेना समझ पाती कि आखिर भारतीय जेट्स किस मकसद से पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हुए थे, तब तक बालाकोट में स्थित आतंकियों के कैंप पूरी तरह जलकर खाक हो चुके थे।

27 फरवरी को यानि बालाकोट एयर स्ट्राइक का बदला लेने के लिए पाक वायुसेना ने एलओसी पर भारत के सैन्य ठिकानों पर बमबारी करने की कोशिश की थी, जिसे भारतीय वायुसेना ने नाकाम कर दिया और पाकिस्तानी पायलटों को दुम दबाकर भागना पड़ा। इस दौरान पाकिस्तानी वायुसेना से लोहा लेते हुए भारतीय पायलट अभिनंदन ( Abhinandan Varthaman ) अपने मिग ( MIG-21) बाइसन एयरक्राफ्ट के साथ पाक सीमा में दाखिल हो गए थे। जहां पाकिस्तानी सेना ने उन्हें बंदी बना लिया था। जिसके बाद में भारत के दवाब में पाकिस्तान ने 60 घंटे बाद विंग कमांडर अभिनंदन को भारत को सौंप दिया था।

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