सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सभी पक्षों से कहा कि उन्हें न्यायालय से समाधान की जितनी भी उम्मीद है, उसे 17 अक्टूबर तक तर्कों के जरिये पेश कर दें।
150वीं जयंती पर महात्मा गांधी की अस्थियां चोरी, पुलिस ने शुरू की जांच सर्वोच्च अदालत के इस आदेश का मतलब है कि आगामी 17 अक्टूबर तक सभी पक्षों के तर्क खत्म हो जाएंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का फैसला लिखने के लिए एक माह का वक्त मिलेगा।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में संवैधानिक बेंच अयोध्या विवादित जमीन मामले की सुनवाई कर रही है। वहीं, आगामी 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
वहीं, पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस केस की बहस भी बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने इसके बीच ही मध्यस्थता के प्रयास भी जारी रखने की बात कही थी।
इसरो का विक्रम से टूटा संपर्क, चंद्रमा पर चीन के लैंडर में उगा कपास का पौधा गौरतलब है कि इससे पहले मुस्लिम पक्ष द्वारा मामले की सुनवाई के लिए अतिरिक्त समय की मांग पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का कहना था कि सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाए। अगर आवश्यकता होती है तो रोजाना सुनवाई का वक्त 1 घंटे बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा विशेष जरूरत पड़ने पर शनिवार को भी सुनवाई की जा सकती है।