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अयोध्या केस: मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित, जो बाबर ने किया अब बदल नहीं सकते- जस्टिस

मंदिर-मस्जिद विवाद में पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने इस बात के संकेत दिए थे कोर्ट इस मामले को मध्यस्थता के जरिए निपटाने में मदद कर सकती है।

Mar 06, 2019 / 11:01 pm

Mohit sharma

Ayodhya dispute

अयोध्या विवाद को मध्यस्थता से निपटाने के मसले पर आज बड़ा फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थता को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।

– इस मसले पर सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा। महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने मध्यस्थता का विरोध किया।

– वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा कि मध्यस्थता बंद कमरे हो, लीक न हो। जस्टिस बोबडे ने कहा कि हम जानते हैं कि यह केवल जमीन नहीं, बल्कि आस्था से जुड़ा मसला है। लेकिन हम बेहतर भविष्य की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत के माध्यम से यह मसला हल हो सकता है।

– जस्टिस बोबडे ने कहा कि बाबर ने जो किया उसको तो बदला नहीं जा सकता। हम केवल मौजूदा हालातों को देख सकते हैं। उन्होंने दस मसले पर मध्यस्थता के लिए पैनल के गठन की बात पर जोर दिया।

– जैन ने कहा कि अगर अदालत में पार्टियां मान जाती हैं, तो आम जनता इस समझौते को स्वीकार नहीं करेगी। इसका संज्ञान लेते हुए जस्टिस बोबडे ने कहा है कि आपको लगाता है कि इसमें किसी तरह का समझौता करना पड़ेगा कोई हारेगा, कोई जीतेगा। जबकि मध्यस्थता में हर बार ऐसा नहीं होता है।

– मुस्लिम पक्ष ने मध्यस्थता के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। उनके वकील ने कहा कि इसके लिए सभी पक्षों की सहमति जरूरी है।

– आपको बता दें कि अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कई बार कोशिशें हो चुकी हैं। साल 2017 में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री श्री रविशंकर प्रसाद ने भी मंदिर—मस्जिद विवाद में मध्यस्थता कराने का प्रस्ताव रखा था।

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– हिंदू महासभा के वकील ने कहा कि इस केस को मध्यस्थता के लिए भेजने से पहले नोटिस भेजा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह जमीन हमारी है, इसलिए हम मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं।

– सुनवाई के दौरान जस्टिस भूषण ने कहा है कि इस मामले में अगर पब्लिक नोटिस दिया गया तो मसला सालों तक खिंच जाएगा।

– जस्टिस बोबडे बोले अगर मध्यस्थता के जरिए कुछ कुछ तय होता है तो मामले को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा।

– जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये विवाद किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं बल्कि दो समुदाय के बीच का है। इसलिए इसे केवल जमीन से नहीं जोड़ा जा सकता है।

आपको बता दें इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर वाली पीठ कर रही है।

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क्या है मामला

दरअसल, पिछले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अयोध्या विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए मध्यस्थता का आदेश जारी कर सकता है। अदालत ने औपचारिक आदेश जारी करने को भी अगली सुनवाई की तारीख पांच मार्च तक के लिए टाल दिया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई के मुद्दे पर मध्यस्थता का सुझाव दिया था। हाईकोर्ट ने एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को, एक हिस्सा रामलला को और एक हिस्सा मूल मुस्लिम वादी को देने का आदेश दिया था।

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मौजूद रह सकते हैं सुब्रमण्यम स्वामी

आपको बता दें कि कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी मौजूद रह सकते हैं। स्वामी ने ही अयोध्या में पूजा अर्चना करने के अनुमति मांगी थी। इसपर मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने उन्हें सुनवाई के दौरान उन्हे कोर्ट में उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ कुल 14 अपील दायर की गई हैं।

 

 

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