WHO ने दी सबसे बड़ी खुशखबरी, कोरोना वैक्सीन पहुंच गई अंतिम चरण में रेल मंत्रालय ने बड़े पैमाने पर अपनी खाली अप्रयुक्त भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का फैसला ले लिया है। सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से रेल मंत्री पीयूष गोयल ( union minister piyush goyal ) के भारतीय रेलवे को ‘नेट ज़ीरो’ कार्बन उत्सर्जन रेलवे में परिवर्तित करने के अभियान में तेजी आएगी। भारतीय रेलवे की बिजली की मौजूदा मांग को सौर परियोजनाओं द्वारा पूरा किया जाएगा, जिससे यह देश का पहला ऐसा परिवहन संगठन होगा जो ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा। इससे भारतीय रेलवे को ग्रीन यानी पर्यावरण हितैषी बनने के साथ ही ‘अत्मनिर्भर’ बनने में मदद मिलेगी।
भारतीय रेलवे ने हरित ऊर्जा पाने में अग्रणी के रूप में काम किया है। इसने एमसीएफ रायबरेली (यूपी) में स्थापित 3 मेगावाट सौर संयंत्र जैसी विभिन्न सौर परियोजनाओं से ऊर्जा की खरीद शुरू की है। भारतीय रेलवे के विभिन्न स्टेशनों और भवनों की छतों पर लगभग 100 मेगावाट क्षमता वाले सोलर सिस्टम पहले ही चालू हो चुके हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के बीना में 1.7 मेगावाट की एक परियोजना जो सीधे ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम से जुड़ी होगी, पहले से ही स्थापित की जा चुकी है और वर्तमान में इसका व्यापक परीक्षण किया जा रहा है। इसे 15 दिनों के भीतर ही चालू किए जाने की संभावना है।
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के सहयोग से भारतीय रेलवे द्वारा शुरू की गई दुनिया में यह अपनी तरह की पहली परियोजना ( solar power train ) है। इसमें रेलवे के ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम को सीधे बिजली देने के लिए डायरेक्ट करंट (DC) को सिंगल फेज अल्टरनेटिंग करंट (AC) में बदलने के लिए इनोवेटिव टेक्नोलॉजी को अपनाना शामिल है। सौर ऊर्जा संयंत्र को बीना ट्रैक्शन सब स्टेशन (TSS) के पास स्थापित किया गया है। यह संयंत्र सालाना करीब 25 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन कर सकता है और रेलवे के लिए हर साल लगभग 1.37 करोड़ रुपये बचाएगा।
इस परियोजना में चुनौती थी सोलर पैनल से उत्पन्न डीसी पावर का सिंगल फेज 25 केवी एसी पावर में रूपांतरण, जिसे रेलवे ट्रैक्शन सिस्टम द्वारा उपयोग किया जाता है। इसके लिए एकल चरण आउटपुट के साथ उच्च क्षमता वाले इनवर्टर के विकास की आवश्यकता थी जो बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं थे।
LAC पर China को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब, Indian Army ने 30 हजार सैनिक किए तैनात इसके साथ ही भारतीय रेलवे की विद्युत ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भूमि आधारित सौर संयंत्रों की योजना के लिए दो पायलट परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। उनमें से एक भिलाई (छत्तीसगढ़) की खाली पड़ी अनुपयोगी भूमि पर 50 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र है, जो सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी (सीटीयू) से जुड़ा होगा और इसे 31 मार्च, 2021 से पहले चालू करने का लक्ष्य है। हरियाणा के दीवाना में स्टेट ट्रांसमिशन यूटिलिटी (एसटीयू) से जुड़े 2 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र के 31 अगस्त 2020 से पहले चालू होने की उम्मीद है।
इन मेगा पहलों के साथ भारतीय रेलवे जलवायु चुनौती के खिलाफ भारत की लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है और एक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन संगठन होने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने और भारत के एकीकृत राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (INDC) लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।