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Article 370 and 35A : जम्मू-कश्मीर से धारा 370, 35A हटने के दो साल बाद बदल गए हालात

Article 370 and 35A : अब राज्य देश के अन्य दूसरे राज्यों के समान ही पूरी तरह से भारतीय संविधान के अन्तर्गत आ गया है।

Aug 05, 2021 / 07:41 am

सुनील शर्मा

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Article 370 and 35A : नई दिल्ली। मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को एक बड़ा कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष रूप से बनाई गई धारा 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से कर लद्दाख को अलग कर केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया। यही नहीं, जम्मू-कश्मीर का भी पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे भी एक केन्द्र शासित प्रदेश में बदल दिया। यह फैसला न केवल मोदी सरकार वरन स्वतंत्र भारत के इतिहास का भी बहुत बड़ा निर्णय है जिसका असर आने वाले सुदूर भविष्य में भी दिखाई देगा। जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले इस कानून को खत्म हुए 5 अगस्त 2021 को दो वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। आइए जानते हैं कि इन दो वर्षों में वहां के हालात कितने बदले हैं और आज राज्य किस स्थिति में है।
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राज्य की संवैधानिक स्थिति पर हुआ सबसे बड़ा असर
धारा 370 और 35ए के चलते जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान एक हद तक लागू ही नहीं था। देश की संसद और केन्द्र सरकार जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश तथा संचार के अलावा अन्य किसी मामले को लेकर कानून नहीं बना सकती थी। साथ ही राज्य को अपना खुद का संविधान बनाने की भी स्वतंत्रता दी गई थी जिसके चलते वहां पर आरटीआई और दूसरे भारतीय कानून लागू नहीं होते थे।
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धारा 370 के खत्म होने से यह स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब राज्य देश के अन्य दूसरे राज्यों के समान ही पूरी तरह से भारतीय संविधान के अन्तर्गत आ गया है। यहां पर सीधे केन्द्र सरकार का शासन होगा जो उपराज्यपाल के जरिए यहां की स्थिति को नियंत्रित करेगी। हालांकि यहां भी विधानसभा होगी और विधायक चुने जाएंगे परन्तु वे स्थानीय प्रशासन के लिए जिम्मेदार होंगे। महत्वपूर्ण मामलों में उन्हें उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी।
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राज्य का मुख्य और एकमात्र झंड़ा तिरंगा होगा। यहां मिलने वाली लोगों की दोहरी नागरिकता भी समाप्त कर दी गई है और राज्य में देश का ही संविधान लागू होगा, दो अलग-अलग संविधान नहीं रहेंगे। जो कानून देश के बाकी नागरिकों पर लागू होते हैं, वही कानून अब यहां भी मान्य होंगे।
पहले यहां पर भारत के लोगों को नागरिकता नहीं दी जाती थी जबकि पाकिस्तान से आने वाले लोगों को नागरिकता आसानी से मिल जाती थी अब राज्य सरकार मनमाने तौर पर किसी को भी नागरिकता नहीं दे सकेगी वरन समस्त भारतीयों और सामान्य कश्मीरियों में अब कोई अंतर नहीं रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसले अब जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे जबकि 5 अगस्त 2019 से पहले ऐसा नहीं था। जनहित में सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले राज्य में मान्य नहीं होते थे, यह स्थिति भी अब पूरी तरह से बदल गई है।
राज्य में महिलाओं के लिए लागू पर्सनल लॉ भी बेअसर हो गया है। अब भारतीय संविधान के तहत महिलाओं को दिए गए सभी अधिकार यहां की महिलाओं को भी मिलेंगे। वे तीन तलाक और दहेज जैसे मामलों को लेकर पुलिस और कोर्ट में न्याय की अपील कर सकेंगी।
अब भारत के अन्य राज्यों में रहने वाले निवासी भी कश्मीर आकर रह सकेंगे, वोट डाल सकेंगे और यहां के युवाओं से विवाह कर सकेंगे। पहले यदि राज्य की कोई लड़की राज्य से बाहर के लड़के से विवाह कर लेती थी तो उसके एवं उसके बच्चों के सभी अधिकार भी यहां खत्म हो जाते थे परन्तु अब ऐसा नहीं होगा और उनके अधिकार देश के अन्य राज्यों की तरह सुरक्षित ही रहेंगे।

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