आज धारा-370 को निरस्त करने की पहली सालगिरह (Anniversary ) है। इस बात को ध्यान में रखते हुए जम्मू—कश्मीर प्रशासन ने घाटी में दो दिनों के लिए कर्फ्यू ( Curfew ) लगा दिया है। आइए हम आपको बताते हैं कि विगत एक साल में जम्मू-कश्मीर में किन-किन क्षेत्रों में बदलाव आया।
केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय की वजह से घाटी में अलगाववादी विचारधारा और आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में भी काफी मदद मिली है। अब छोटी-मोटी आतंकी घटनाएं सामने आ रही हैं। बड़ी घटनाओं पर करीब-करीब रोक लग गई है। 2019 के मुमाबिक 2020 के आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं।
Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan: नए दौर का आगाज, आज PM Modi करने जा रहे हैं BJP का एक और वादा पूरा सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन ने अलगाववादियों ( Separatists ) के वित्तीय स्रोत भी काफी हद तक बंद कर दिए हैं। अब जम्मू-कश्मीर में बंद और हड़ताल के आह्वान नहीं सुनाई पड़ते। बड़ी संख्या में आतंकी संगठनों के सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं। आतंकियों के कई मॉड्यूल्स का खुलासा हुआ है। ऐसा पहली बार है जब कश्मीर में जंग-ए-बदर की पूर्व संध्या पर कोई घटना नहीं हुई।
आतंकी हमलों में 36% की कमी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ( Indian Security Agencies ) का दावा है कि 2019 की तुलना में 2020 में कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 36% की कमी आई है। 2019 में 51 ग्रेनेड हमले हुए थे जबकि इस साल सिर्फ 21 हुए हैं। 2019 में 6 आईईडी अटैक ( IED Attack ) हुए थे जिनमें एक पुलवामा भी था जहां सीआरपीएफ ( CRPF ) के 40 जवान शहीद हुए थे। इस साल अभी तक सिर्फ एक आईईडी अटैक हुआ है।
पहली बार जम्मू-कश्मीर के 4 मुख्य आतंकी संगठनों- हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए- मुहम्मद और अंसर गजवत- उल-हिंद के टॉप कमांडर चार महीने के भीतर मारे जा चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2018 में 583, 2019 में 849 और 2020 में अब तक 444 आतंकियों और उनके मददगारों को गिरफ्तार किया गया है।
Ayodhya Ram Mandir : राम मंदिर आंदोलन के बड़े नाम जो Bhoomi Poojan के नहीं बन पाएंगे गवाह अलगाववादियों के मंसूबों पर फिरा पानी वर्ष 2020 में अलगाववादियों में फूट भी सामने आई है। सैयद अली शाह गिलानी ने खुद को हुर्रियत से अलग कर लिया है जो कश्मीरी कट्टरपंथी और अलगाववादियों के लिए सबसे बड़ा झटका ( Big Jolt ) है। इसके अलावा अधिकारियों का कहना है कि कश्मीर की जनता समझ चुकी है कि अलगाववादियों ने उन्हें हिंसा की ओर धकेल स्वयं मलाई काटी है।
अब आतंकियों के जनाजे पर भीड़ नहीं दिखती। अब आतंकियों के शवों को सीधे परिजनों की मौजूदगी में दफना दिया जाता है। ऐसे में अब न काई शोरशराबा और न ही कोई हंगामा होता है।
पत्थरबाजी की घटनाओं के 73 फीसदी की कमी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में 532 घटनाओं की तुलना में 2019 में 389 और इस वर्ष जुलाई माह तक मात्र 102 घटनाएं हुई। पत्थरबाजी ( Stone Pelting ) की घटनाओं में 2020 में करीब 73 फीसद की कमी दर्ज की गई है। जबकि पिछले वर्ष यह कमी 29 फीसद थी। 2018 में 2268 पत्थरबाजों को गिरफ्तार किया गया। 2019 में 1129 और 2020 में 1152 पत्थरबाज गिरफ्तार हुए।