बता दें कि वास्तवित नियंत्रण रेखा पर हालात का जायजा लेने के लिए सेना प्रमुख नरवणे दो दिनों के लिए पूर्वी लद्दाख के दौरे पर गए थे। पिछले 2 दिनों में उन्होंने पीएलए के साथ 4 स्टैंड-ऑफ पॉइंट ( 4 stand-off points ) के बारे में जमीनी हकीकत का सैन्य अधिकारियों के साथ आकलन किया।
Bihar Assembly Election 2020 : महागठबंधन में मनमुटाव दूर करने को लेकर हुई बैठक, सोनिया-तेजस्वी नहीं हुए शामिल 65 प्वाइंटों पर गश्त पर सतर्क रहने के निर्देश उन्होंने भारतीय सेना को एलएसी के 65 बिंदुओं पर गश्त जारी रखने का निर्देश दिए। वहीं पीएलए की हर चाल का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पिछले एक सप्ताह में सीमा पर ITBP के जवानों के साथ विशेष रूप से प्रशिक्षित सैन्य बलों को तैनात किया गया है। ताकि पीएलए के एक्शन का मुंहतोड़ जवाब देना संभव हो सके।
शीर्ष नेतृत्व को देंगे जमीनी हालत की जानकारी सेना प्रमुख जनरल नरवणे ( Army Chief Genral Naravane ) लद्दाख से वापसी के बाद आज राजनीतिक नेतृत्व ( Political Leadrship ) को पीएलए की तैनाती और एलएसी पर उसकी गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। माना जा रहा है कि एलएसी पर हालात बिगड़ने की स्थिति में यह जानकारी राजनीतिक नेतृत्व के लिए तत्काल निर्णय लेने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
LAC Dispute : अब चीन ने डीबीओ के पास खोला नया मोर्चा, डेपसांग सीमा किया पार थल सेना प्रमुख, वायु सेना प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ( CDS General Vipin Rawat ) के साथ वायु और समुद्र में भारतीय रणनीतियों को लेकर भी विचार-विमर्श करेंगे।
इस बीच किसी भी बल की आपात आवश्यकता पड़ने पर सीडीएस जनरल रावत और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष सैन्य अधिकारी तत्काल निर्णय लेंगे। वहीं भारतीय रक्षा रणनीतिकारों ने सैटेलाइट इमेज ( Satellite image ) का विश्लेषण किया है।
22 जून के बाद से सीमा पर शांति है जनरल नरवणे को गलवान घाटी में तथाकथित नए चीनी किलेबंदी के सवालों का भी जवाब देना होगा। लद्दाख में अब भी तनाव बरकरार है लेकिन 22 जून के बाद से एलएसी पर शांति है। यह जानकारी वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स ने दी। भारी संख्या में दोनों ही पक्षों की सेनाएं एलएसी पर तैनात हैं।
वादे के मुताबिक पीछे नहीं हटी चीनी सेना दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय ( MEA ) के साथ सीमा विवाद के मुद्दे को लेकर चीनी राजनयिक ने भारत को गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में हुई हिंसक झड़प के लिए दोषी ठहराया था। जबकि सच्चाई ये है कि सैन्य अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बाद चीन की सेनाएं वादे के मुताबिक पीछे नहीं हटी थीं। इसे लेकर भारतीय जवानों ने विरोध जताया था। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच हिंसा हुई थी।