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हिमाचल में नेपाली मजदूरों की कमी बिगाड़ सकती है सेब का सीजन, सीएम ने उठाया कदम

Himachal Pradesh में Nepali Worker की कमी से Apple Seasons पर पड़ सकता है असर
हिमाचल प्रदेश की 4,000 करोड़ रुपये की फल अर्थव्यवस्था काफी हद तक नेपाल के मजदूरों पर निर्भर
Coronavirus के चलते नेपाल से नहीं लौट रहे मजदूर

Jun 06, 2020 / 05:52 pm

धीरज शर्मा

नेपाली मजदूरी की कमी बिगाड़ सकती है हिमाचल में सेब का सीजन

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस ( Coronavirus ) की वजह से लाखों प्रवासी मजदूर ( Migrant Labour ) अपने घरों की ओर लौट चुके हैं। उनकी घर वापसी ने देश के कई राज्यों में बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। उद्योग धंधों के साथ-साथ अब खेती पर सीधा असर पड़ रहा है। ऐसा ही बड़ा संकट इस वक्त पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh ) पर खड़ा है।
जहां मजदूरों के नेपाल पलायन ( Nepali Labour ) कर जाने की वजह से सेब का सीजन ( Apple Season ) खराब हो सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ( Jairam Thakur ) ने इस समस्या को हल करने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
दरअसल हिमाचल प्रदेश की 4,000 करोड़ रुपये की फल अर्थव्यवस्था काफी हद तक नेपाल के मजदूरों पर निर्भर करती है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से बड़ी संख्या में मजदूर नेपाल पलायन कर गए हैं, जिसके कारण सेब की कटाई के मौसम में बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है।
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सेब उत्पादकों का कहना है कि उनका व्यवसाय, जो कुल फल अर्थव्यवस्था का 89% हिस्सा है, को नेपाली मजदूरों के पलायन की वजह से काफी नुकसान होगा। दरअसल नेपाली मजदूर लगभग छह दशकों से हिमाचल के सेब उद्योग की रीढ़ माने जाते हैं। लेकिन इस बार सर्दियों के बाद महामारी की वजह से कई मजदूर वापस नहीं लौटे।
थियोग में धानो गांव के एक सेब उत्पादक नरेश शर्मा ने कहा, “इस मौसम में बड़े पैमाने पर प्रतिकूल मौसम के कारण सेब की फसल की पैदावार सामान्य से कम है। ऐसे में मजदूरों की कमी ने उत्पादकों को दोहरी मार दी है।
आम तौर पर मजदूर नवंबर में नेपाल जाते हैं और सेब की कटाई के लिए मार्च-अप्रैल में हिमाचल प्रदेश लौटना शुरू करते हैं, जो अक्टूबर तक जारी रहता है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
लेबर कॉन्ट्रैक्टर सतीश बेगता कहते हैं, कोविद -19 के खतरे के अलावा, अलग-थलग पड़ने के डर से अधिकांश मजदूरों को राज्य में लौटने से डर लग रहा है।

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एक अन्य ठेकेदार ने कहा कि नेपाली श्रमिकों को डर है कि अगर वे क्वारंटीन होने के दौरान कमाने में सक्षम नहीं हैं तो भूख से मर सकते हैं यही वजह है कि वे काम पर लौटने के इच्छुक नहीं हैं।
“सरकार को भोजन और आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने की व्यवस्था के साथ प्रवासी श्रमिकों के लिए राहत शिविर का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मजदूरों को सरकार के पास पंजीकृत करवाने के लिए एक पोर्टल बनाया जाना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश भारत के प्रमुख सेब उत्पादक क्षेत्रों में से एक है, जिसमें लगभग 90% उपज घरेलू बाजार में जाती है।
सीएम ने उठाया बड़ा कदम
कोरोना से जूझ रहे हिमाचल में सेब सीजन के दौरान लेबर का पुख्ता इंतजाम करने के लिए प्रदेश सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सेब सीजन को देखते हुए प्रदेश सरकार नेपाल से मजदूरों को लाने का प्रयास कर रही है।
राज्य सरकार ने केंद्रीय विदेश मंत्री से मामला उठाया है। राज्य सरकार नेपाल से मजदूरों को लाने के लिए परिवहन की व्यवस्था करने को भी तैयार है। उन्होंने कहा कि सेब सीजन शुरू होने तक मजदूरों की समस्या का हल हो जाएगी।

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